कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप फैलने का समय अगस्त से सितम्बर के बीच रहता है। गुलाबी सुंडी के संक्रमण का एक प्रमुख स्रोत जिनिंग मिल और बिनौलों से तेल निकालने वाली इकाइयां भी होती हैं। इन मिलों में संग्रहीत बिनौलौं में गुलाबी सुंडी कीट सुसुप्त अवस्था में रह सकता है। अनुकूल मौसम में फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मिल संचालकों को भी सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। विभाग स्तर पर खेतों से बनछटियों को हटाने की बात भी किसानों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार सिंचाई पानी के संकट से जूझ रहे किसान अब ड्रिप इरीगेशन की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। कुछ कपास उत्पादक किसानों ने खेतों में ड्रिप लगाई है। खेती के आधुनिक तौर तरीके अपनाकर किसान कम पानी में भी अच्छी पैदावार ले रहे हैं। वर्तमान में हो रही बरसात से कपास की फसल को फायदा होगा।