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हाल ए रेलवे: एक ट्रेन में दो हजार यात्रियों पर सिर्फ दो टीटीई, स्लीपर कोच में सबसे ज्यादा मारामारी

– एक दो स्टेशन निकलने के बाद भी हल नहीं हो पाती शिकायतें, जनरल कोच में तो महीनों से नहीं गए ग्वालियर . ट्रेनों में टीटीई की भारी कमी के चलते यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है। एक ट्रेन में औसत दो हजार यात्रियों पर सिर्फ दो ही टीटीई तैनात हैं। इसमें से एक […]

ग्वालियरSep 02, 2025 / 07:42 pm

प्रवेंद्र तोमर

– एक दो स्टेशन निकलने के बाद भी हल नहीं हो पाती शिकायतें, जनरल कोच में तो महीनों से नहीं गए

ग्वालियर . ट्रेनों में टीटीई की भारी कमी के चलते यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है। एक ट्रेन में औसत दो हजार यात्रियों पर सिर्फ दो ही टीटीई तैनात हैं। इसमें से एक टीटीई एसी और दूसरा स्लीपर कोच में ड्यूटी करता है। हालात ये हैं कि ट्रेनों के सभी स्लीपर कोच में टीटीई टिकट चेक करने तक नहीं पहुंच पाते। कुछ ट्रेनों में तो स्लीपर कोच में यात्री अपनी बर्थ के लिए लड़तेझगड़ते ही सफर करते हैं। अधिकांश ट्रेनों के स्लीपर कोच में वेटिंग और जनरल टिकट वाले यात्री सीटों पर कब्जा कर लेते हैं। अगर टीटीई सीट चेक करने आए तो पता चलता है कि कोच में कितने यात्रियों की सीट ही नहीं है, इसके बाद भी वे दूसरों की सीट पर कब्जा कर बैठे रहते हैं। ग्वालियर के टीटीई हर दिन 53 ट्रेनों को लेकर आते जाते हैं। हर ट्रेन में 13 का स्टाफ होना चाहिए, जिसमें 4 टीटीई।
हर दिन 25 के आसपास शिकायतें

झांसी मंडल की ट्रेनों में हर दिन 25 से ज्यादा यात्रियों की शिकायतें ऑनलाइन आती हैं। जिसमें दूसरे यात्री द्वारा कब्जा करने की शिकायतें ज्यादा हैं। कई बार तो कोच में चलने तक को जगह नहीं बचती। वहीं वेटिंग टिकट वाले भी सीटों पर बैठने की शिकायतें बढ़ी हैं।
ऐसे विवाद आ रहे सामने:

– 22 अगस्त: दिल्ली की तरफ जा रही मालवा एक्सप्रेस के कोच-एस-9 से यात्री सुखदेव ने सीट न मिलने पर शिकायत दर्ज कराई थी। काफी देर बाद पहुंचे टीटीई ने पूरा कोच चेक किया तब कहीं जाकर मुरैना के आगे उन्हें सीट मिली।
– 28 अगस्त: पंजाब मेल के कोच एस- 5 में महादेवी बाई भोपाल के लिए ट्रेन में चढ़ी। उनकी सीट पर पहले से यात्री बैठा था। इसके बाद डबरा में जाकर सीट मिल सकी।
-29 अगस्त: ताज एक्सप्रेस में झगड़े के बाद पहुंची सीट तक

झांसी से चलकर निजामुद्दीन जाने वाली ताज एक्सप्रेस में भीड़ के चलते सोहन लाल की सीट पर झांसी से ही यात्री बैठकर आ रहा था। सीट के लिए झगडने के बाद ग्वालियर के पास उन्हें सीट मिल सकी।
ट्रेनें तो बढ़ीं पर स्टाफ नहीं

ग्वालियर से दस ट्रेनों का संचालन काफी समय से हो रहा था। वहीं अभी ग्वालियर- बेंगलुरु, ग्वालियर- पुरी, दक्षिण एक्सप्रेस और श्री धाम एक्सप्रेस भी ग्वालियर को मिली हैं। इन सभी ट्रेनों में टीटीई जाने लगे हैं। इस तरह चार ट्रेनों में आठ फेरे के लिए 16 से 24 टीटीई की जरूरत है, लेकिन यहां पर तो टीटीई की पहले से ही कमी है।
185 की जगह 133 से चला रहे काम

ग्वालियर स्टेशन पर 185 टीटीई की जरूरत है, स्वीकृत 138 हैं और काम सिर्फ 133 ही कर रहे हैं। कमी का असर प्लेटफॉर्म ड्यूटी पर भी दिखाई देता है। चौबीस घंटे की ड्यूटी में स्टेशन पर लगभग 21 टीटीई की जरूरत है।
सभी मंडलों में टीटीई की कमी

झांसी सहित अन्य मंडलों में टीटीई की काफी कमी है। पुराने टीटीई रिटायर होते जा रहे हैं। नई भर्ती नहीं होने से टीटीई नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं ट्रेनें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। इससे सभी स्टेशनों पर काफी परेशानी है। इसमें स्लीपर कोच में यात्रियों को ज्यादा दिक्कत आ रही है।
– अमन वर्मा, सीनियर डीसीएम झांसी

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