रानी के शौर्य को देखकर नम हुई आंखें
सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा कि वीरांगना लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य खूब लड़ी मर्दानी की प्रस्तुति से पूरा माहौल देशभक्तिमय हो गया। रानी जब-जब अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हुई तो यह दृश्य देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं। यह नाटक दो भागों में प्रस्तुति किया गया। दूसरे भाग को सीएम के सामने प्रस्तुत किया गया। देर रात कवियों ने काव्य पाठ किया। देशभक्तिपूर्ण कविताओं ने मन मोह लिया।
वैष्णवी सिंह को किया सम्मानित
उन्होंने शहीद मंगल पांडेय के साथी दुर्गा सिंह के वंशज, शौर्य चक्र विजेता शहीद विवेक सिंह तोमर की पत्नी एवं नेशनल क्रिकेटर वैष्णवी शर्मा को समानित किया। सीएम मोहन यादव ने कहा कि ग्वालियर में पिछले 26 वर्षों से महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित होने वाला बलिदान मेला एक सार्थक प्रयास है। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश सरकार हमेशा वीरांगनाओं के समान के लिए समर्पित रही है। ग्वालियर की धरती पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अटल बिहारी वाजपेयी जैसी महान विभूतियों ने देश के विकास में अतुलनीय कार्य किया है।
ग्वालियर में टेक्नोलॉजी हब बनाएंगे
सीएम ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में नई शिक्षा नीति लागू कर युवाओं को देश की शौर्य गाथाओं, संस्कृति, संगीत एवं अन्य विधाओं से अवगत कराने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। प्रदेश सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ों योजना पर तेजी से कार्य कर रही है। इस योजना का सबसे ज्यादा लाभग्वालियर-चंबल संभाग को मिलेगा। इसके साथ ही ग्वालियर में शीघ्र ही टेक्नोलॉजी हब भी स्थापित होगा, जिससे अनेकों अनेक युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। संस्कार भूल गए तो सोनम जैसी औलादें पैदा होंगी
सीएम ने कहा, देश परंपराओं और संस्कारों पर जिंदा रहता है। अगर परिवार में समाज के संस्कार लुट गए, अगर सती सावित्री की कथा नहीं सुनी बच्चों ने, माता अनुसुइया का पतिव्रत धर्म का पाठ नहीं पढ़ा तो दुर्भाग्य से इंदौर की सोनम (Sonam Raghuvanshi) जैसी संतानें पैदा होंगी।
साढ़े चार घंटे तक नहीं जाने दिया रानी की समाधि तक
सीएम डॉ. मोहन यादव को शाम करीब 7.30 बजे बलिदान मेले में शामिल होना था, लेकिन वे करीब साढ़े चार घंटे लेट समाधि स्थल पर पहुंचे। सुरक्षा कारणों से शाम 6 बजे से ही रानी लक्ष्मीबाई समाधि पर आमजनता का प्रवेश बंद कर दिया गया। कई लोग माला लेकर पहुंचे, लेकिन उनको प्रवेश नहीं दिया, वे निराश होकर लौट गए। सीएम के पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद रात करीब 11 बजे आमजनता को समाधि तक जाने दिया। कवि समेलन भी रात 11.30 बजे तक शुरू नहीं हो सका। इसलिए आधे से ज्यादा लोग कवि समलेन शुरू होने से पहले ही लौट गए। देशभक्ति जगाने का महायज्ञ है वीरांगना बलिदान मेला- पवैया
वीरांगना मेला के संस्थापक अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया ने कहा, 166 साल पहले ग्वालियर की इसी धरा पर वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भारत माता के चरणों में अपनी आहुति दी थी। बलिदान मेला देश भक्ति जगाने का अनुष्ठान एवं महायज्ञ है। वर्ष 2000 से यह आयोजन निरंतर किया जा रहा है। बलिदान मेला जिस स्थान पर आयोजित किया जाता है, इस धरा पर महारानी लक्ष्मीबाई का रक्त शामिल है। यह धरती जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि चंदन है।
ये रहे मौजूद
बलिदान मेले में रामदास महाराज दंदरौआ सरकार, प्रदेश के संस्कृति मंत्री धर्मेन्द्र लोधी, उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युन सिंह तोमर, राज्य मंत्री कृष्णा गौर, सांसद भारत सिंह कुशवाह, प्रदेश महामंत्री संगठन हितानंद शर्मा, यशवंत इंन्द्रापुरकर, विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा आदि मौजूद रहे।