‘तुम्हारे वोट और धंधे पर करेंगे चोट’, भीम आर्मी ने वकीलों को दी चेतावनी!
Ambedkar statue controversy: एमपी हाईकोर्ट के ग्वालियर खंडपीठ परिसर में महीने भर से ऊपर से चल रहा आंबेडकर मूर्ति विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को भीम आर्मी ने विरोध करने वाले वकीलों को चेतावनी दी। (mp news)
Ambedkar statue controversy mp news
(फोटो सोर्स- सत्येंद्र विद्रोही एमपी आजाद समाज पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ट्विटर)
mp news: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ परिसर में आंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर पनपा विवाद (Ambedkar statue controversy) फिलहाल एक महीने के लिए थम गया है। निरावली तिराहा पर बुधवार को भीम आर्मी एकता मिशन की डॉ. भीमराव आंबेडकर महापंचायत में तय हुआ है प्रतिमा की स्थापना को लेकर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फैसला करना है। फिलहाल तो नए चीफ जस्टिस ने पदभार ग्रहण नहीं किया है।
उनके आने और इस मसले में फैसला देने में कुछ समय लगेगा। फैसला पक्ष में आया तो समझा जाएगा कि संविधान और न्याय की बात जिंदा है, नहीं तो इस बार वोट और कारोबारियों के धंधे पर चोट होगी। समाज के लोग बाबा साहेब और उनकी प्रतिमा का विरोध करने वालों की दुकानों से सामान नहीं लेंगे। आंबेडकर के अनुयायी प्रदेशभर में गली, मोहल्ले और चौराहों पर उनकी प्रतिमा को लेकर बैठकर इंसाफ की मांग करेंगे।
प्रशासन ने नहीं दी महासभा की अनुमति
प्रशासन ने सभा की अनुमति नहीं दी थी इसलिए नेताओं के बैठने और समर्थकों को संबोधित करने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। ऐसे में भीम आर्मी नेताओं ने कार की छत पर चढ़कर समर्थकों के सामने बात रखी। बुधवार को 44 डिग्री तापमान में तपा देने वाली गर्मी में टेंट तंबू का इंतजाम नहीं होने से समर्थक और कार्यकर्ता भी पेड़ और झाड़ियों की आड़ में दुबके रहे। (Ambedkar statue controversy)
पूर्व जज दलित थे इसलिए नहीं मानी गई बात- एकता मिशन
एकता मिशन के अध्यक्ष विनय रतन ने इस दौरान कहा बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा को ग्वालियर खंडपीठ परिसर में लगाने का फैसला तो पूर्व चीफ जस्टिस ने कर दिया था। लेकिन कुछ वकीलों ने इसका विरोध कर दिया। दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में बात सामने आई कि प्रतिमा लगाने का फैसला देने वाले चीफ जस्टिस दलित थे। इसलिए अभी तक प्रतिमा नही लगी, उनकी जगह दूसरी जाति के जस्टिस अगर फैसला देते तो प्रतिमा लग जाती। रतन सिंह ने कहा भीम आर्मी चाहे तो दो मिनट में प्रतिमा लगा सकती है। लेकिन अदालत के अंदर की बात है। इसलिए अदालत में ही निपटेगी। भीम आर्मी को तो इसलिए मैदान में आना पड़ा है क्योंकि कुछ लोग बाबा साहेब का ही विरोध कर रहे हैं।
रतनसिंह ने बाबा साहेब आंबडेकर की प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद को बातों ही बातों में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के विवाद से जोड़कर नया दांव खेल दिया उन्होंने कहा ग्वालियर में ही बहुजन महापुरुषों की प्रतिमाओं पर ही विवाद क्यों होता है। उन्होंने कहा हाइकोर्ट परिसर में डा. आंबेडकर की प्रतिमा कहां लगेगी, यह चीफ जस्टिस तय करेंगे। उनके आने और फैसला करने का इंतजार है। इसलिए एक महीने बाद इस मसले पर फैसले के हिसाब से रणनीति बनाएंगे।(Ambedkar statue controversy)
भीम आर्मी एकता मिशन और आजाद समाज पार्टी के पदाधिकारी, समर्थकों को निरावली पर रोका गया। प्रशासन ने शहर में सभा की अनुमति नहीं दी थी। नेताओं ने प्रतिमा की स्थापना के मसले को लेकर ज्ञापन सौंपा है। उससे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायधीशों को अवगत कराया जाएगा।- कृष्णलाल चंदानी, एएसपी
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