राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के मुताबिक, बैंकों के कुल एनपीए में से 17,36,117 करोड़ का एनपीए प्राथमिक क्षेत्र का है। इसमें कृषि, आवास, शिक्षा और एमएसएमई में कर्ज होता है। गैर प्राथमिक क्षेत्रों में दिए कर्ज में से 4,43,733 करोड़ रुपए एनपीए हो चुका है। शिक्षा ऋण के क्षेत्र में भी एनपीए 348 करोड़ से अधिक है। हाउसिंग में एनपीए 20,056 करोड़ है। कुल एनपीए में सबसे ज्यादा एसबीआइ का 4,90,950 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए 4,11,162 करोड़ रुपए दूसरे नंबर पर है।
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यह बैंकों का फंसा हुआ कर्ज है। इसकी लंबे समय से वसूली नहीं हो पा रही है। लगातार तीन माह तक कर्ज की किस्त नहीं मिलने पर खाते को एनपीए घोषित किया जाता है। ग्राहकों के खाते नियमित करने पर ये एनपीए से बाहर हो जाते हैं।
3 साल में इतना NPA
-साल 2022 में 34,527 करोड़ रूपए
-साल 2023 में 35,802 करोड़ रूपए
-साल 2024 में 35,668 करोड़ रूपए
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ग्वालियर एलडीएम अमिता शर्मा के अनुसार, बैंकों का एनपीए तो बढ़ रहा है। लोन लेने वाले ग्राहकों को इसके लिए चेताते भी हैं। कृषि क्षेत्र में तो कई ग्राहक कहते हैं, सरकार ने कर्ज माफ कर दिया है।