ग्वालियर के काले व सफेद पत्थर की पहचान देश-विदेश में है, इसके साथ ही अब लोहा भी नई पहचान बनेगा। ग्वालियर में काले पत्थर की तलाश की प्रक्रिया में लौह अयस्क के भंडार मिले हैं। यहां 40 हेक्टेयर जमीन में लौह अयस्क पाया गया है। लौह अयस्क से जहां ग्वालियर में लोहा बनाने की फैक्ट्री लग सकती है, वहीं कच्चे माल की सप्लाई से अरबों की कमाई भी होगी।
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शनिवार और रविवार सहित तीन दिनों की छुट्टी रद्द, सरकार का बड़ा फैसला पनिहार क्षेत्र की पहाड़ियों में लौह अयस्क की 45 से 65 फीसदी मात्रा मौजूद है। इसकी लीज की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। लौह अयस्क के खनन से ग्वालियर में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। दूसरे राज्यों की इस्पात फैक्ट्री को कच्चे माल की सप्लाई की जाएगी और ग्वालियर में भी इस्पात फैक्ट्री खुलने के आसार बनेंगे।
काफी बड़े एरिया में है लौह अयस्क
अभी जिले में लौह अयस्क की एक खदान है, जो मऊझ के जंगल में महेश्वरा गांव के पास है। महेश्वरा में पहले भी खनन किया गया था। यहां मिले लौह अयस्क को इस्पात कारखानों में भेजा गया। अब इसके पास में ही दूसरी खदान मिली है। इस बार जो खदान मिली है, उसका क्षेत्रफल काफी बड़ा है। हालांकि जो लौह अयस्क मिला है, वह एक जगह पर नहीं है। जमीन के कुछ हिस्सों में ही है। शीतला माता मंदिर क्षेत्र की पहाड़ी रेड पत्थर है। इस पहाड़ी में भी आयरन मौजूद है। पूरा क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आता है, इस कारण यहां पर आयरन खदान की स्वीकृति नहीं है, हालांकि सर्वे किया गया है। ग्वालियर में आयरन मुरार ग्रुप का हिस्सा है। इस ग्रुप की पहाड़ियों के पत्थर में आयरन की उपलब्धता रहती है। इधर पनिहार से शीतला माता मंदिर तक पूरी पर्वत श्रंखला है। इस पर्वत श्रेणी में लाल पत्थर मौजूद है।
एनओसी की प्रक्रिया के बाद शुरु होगा लौह खनन
ग्वालियर के खनिज अधिकारी प्रदीप भूरिया बताते हैं कि पनिहार की पहाड़ियों में पर्याप्त लौह अयस्क मौजूद है। वन विभाग की एनओसी की प्रक्रिया चल रही है। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद खनन शुरू होगा। यहां 65 फीसदी तक कच्चा माल मौजूद है।