आदिवासी स्वत्व की जमीन पर प्लॉटिंग की जानकारी मिलने पर एसडीएम ने पटवारी अलका कुशवाह को जांच के लिए भेजा था। पटवारी ने इस जमीन की जांच की। रिपोर्ट तहसीलदार को सौंप दी। करीब आदिवासी स्वत्व की 100 करोड़ की जमीन पर भविष्य में कॉलोनी विकसित करने की तैयारी है। जमीन मिसिल बंदोबस्त में शासकीय दर्ज है।
आदिवासियों को कृषि के लिए सरकार ने दिए थे पट्टे
दरअसल शिवपुरी लिंक रोड स्थित नीम चंदोहा आदिवासी बाहुल गांव है। इस गांव में आदिवासियों को कृषि के लिए सरकार ने पट्टे दिए थे, लेकिन जमीन नगर निगम सीमा में है। नीम चंदोहा में कॉलोनी विकसित होने लगी है। साथ ही शिक्षण संस्थान व रिसोर्ट भी खुल रहे हैं। इस कारण जमीन के भाव आसमान पर छू रहे हैं। मुख्य मार्ग पर जमीन का भाव पांच करोड़ रुपए बीघा चल रहा है। नीम चंदोहा में आदिवासी समाज के लोगों के पास जमीनें हैं। इनकी जमीनों पर कॉलोनी विकसित करने की तैयारी की जा रही है।
मिसिल बंदोबस्त में 261 सर्वे नंबर, 54 अशासकीय, 207 शासकीय दर्ज है
सर्वे क्रमांक – रकबा हेक्टेयर में 122/2 – 0.418 124/1 व 132/2 – 0.7320 124/2 – 0.7320 124/3 – 0.2190 124/4 – 0.2720 124/5 – 0.1880 124/6 – 0.7320 124/7 – 05330 125/3/2 – 0.0630 126/2 – 0.5750 126/4 – 0.1150 136/6 – 0.1570
मिसिल बंदोबस्त में जमीन शासकीय दर्ज, बिना जमीन नहीं हो सकती है विक्रय
● नीम चंदोहा में मिसिल बंदोबस्त के रिकॉर्ड में 261 सर्वे नंबर हैं, जिसमें 54 सर्वे नंबर की जमीन अशासकीय है। 207 सर्वे नंबर की जमीन सरकारी है, जो पड़ती कदीम, बंजर, नाला, सड़क, जंगलात, सेडा के नाम से दर्ज है। ● शासकीय सर्वे नंबर की जमीन को पट्टे पर दिया गया है। जमीन कृषि कार्य के लिए दी गई है। ● पट्टे पर जमीन दिए जाने से खसरे में नाम आए हैं।
बेला की बावड़ी तक हो रही कॉलोनी विकसित
● नगर निगम शहर में अवैध कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। रजिस्ट्री पर रोक के लिए पंजीयन विभाग में भी पत्र भेजा है, लेकिन चिरवाई से बेला की बावड़ी तक कॉलोनी विकसित करने के लिए बड़ी मात्रा में खेती की जमीन समतल की गई है। ● मुख्य मार्ग पर कुछ जगहों पर जमीन को विकसित भी किया गया है। (13 सर्वे नंबर में 5.2590 हेक्टेयर (20 बीघा) है। जमीन आदिवासी समाज व्यक्ति के नाम है)
नीम चंदोहा में आदिवासी समाज की जमीन पर अवैध कॉलोनी
नीम चंदोहा में आदिवासी समाज की जमीन पर अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है। इसकी रिपोर्ट नगर निगम को भेज दी है। नगर निगम इस पर कार्रवाई करेगी। आदिवासी समाज की जमीन का विक्रय अनुमति के बाद हो सकता है।