दरअसल अकरम खान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, नेओटेरिक कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड, जो जीएलआर रियल एस्टेट समूह की सहायक कंपनी है। इस कंपनी ने “नेचर पार्क” नामक टाउनशिप विकसित की है। यह टाउनशिप सर्वे नंबर 23 और 29 पर बनाई गई है। लेकिन इसे मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए कंपनी ने आरक्षित वन भूमि सर्वे नंबर 18 और 22, ग्राम डोंगरपुर, तहसील ग्वालियर पर अवैध रूप से सड़क का निर्माण कर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस कार्य के लिए न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनुमति ली गई। न ही वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किया गया और न ही प्रतिपूरक पौधरोपण किया गया। यह सीधा-सीधा भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 20 का उल्लंघन है, जिसमें आरक्षित वन भूमि का निजी उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित है।
शिकायत पर नहीं की कार्रवाई याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सबसे पहले आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद संबंधित विभागों को प्रतिवेदन भेजा, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंतत: उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज की। जांच में प्रथम स्तर के अधिकारी ने किसानी ऐप के जरिए पुष्टि की कि संबंधित भूमि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में वन भूमि है। इसके बावजूद शिकायत को दूसरे स्तर पर बंद कर दिया गया और कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया।
– वन भूमि पर निर्माण से पर्यावरण को नुकसान है। बल्कि सरकारी संपत्ति का भी नुकसान है। 2011 में किया में किया था संयुक्त सर्वे, 1.356 हेक्टेयर भूमि पर निकला था अतिक्रमण – 2011 में डोंगरपुर के सर्वे क्रमांक 18, 22, 30 की 1.356 हेक्टेयर भूमि का संयुक्त सर्वे किया गया था। जीएलआर रीयल स्टेट ने तीनों सर्वे नंबर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है।
– सर्वे क्रमांक 18 की 0.360 हेक्टेयर भूमि फ्लैट का संपूर्ण ब्लॉक का निर्माण किया गया है। – सर्वे क्रमांक 22 की 0.916 हेक्टेयर भूमि पर 40 डुप्लेक्स व पार्क का निर्माण किया गया है।
– सर्वे क्रमांक 30 पर पार्क व रास्ते का निर्माण किया गया है।