डीएम के निर्देश पर गाजियाबाद बीएसए ने सभी स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए आदेश जारी कर दिया है। इसमें बताया गया है कि श्रावण मास का शुभारंभ 11 जुलाई से हो चुका है और इस पवित्र महीने के दौरान देशभर से लाखों शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। 23 जुलाई को जलाभिषेक की तिथि है। जिसके चलते हरिद्वार से जल लेकर श्रद्धालु गाजियाबाद होते हुए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों की ओर जाते हैं।
गाजियाबाद जिले की सीमा से होकर कांवड़ियों का बड़ा जत्था गुजरता है। जिससे सड़कों पर अत्यधिक भीड़ और ट्रैफिक जाम की स्थिति बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी ने विद्यार्थियों की सुरक्षा और स्कूली वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी शिक्षण संस्थानों को एक सप्ताह के लिए बंद रखने का निर्देश दिया है।
ट्रैफिक में भी होंगे बड़े बदलाव, वैकल्पिक मार्गों की सलाह
दूसरी ओर, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने भी कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक प्लान में बदलाव किया है। मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है कि 23 जुलाई तक कालिंदी कुंज और इसके आसपास के क्षेत्रों में ट्रैफिक प्रतिबंधित रहेगा। कांवड़ियों की भारी भीड़ के चलते नोएडा, कालिंदी कुंज और आगरा कैनाल रोड जैसे मार्गों पर यातायात प्रभावित रहेगा खासकर आगरा कैनाल रोड और कालिंदी कुंज से नोएडा की ओर जाने वाला आधा मार्ग आम लोगों के लिए बंद रहेगा।
वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की दी गई सलाह
इस दौरान इन मार्गों पर ट्रैफिक का भारी दबाव रहने की संभावना है, जिससे यात्रियों को लंबा इंतज़ार और जाम झेलना पड़ सकता है। यातायात विभाग ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे समय बचाने और भीड़ से बचने के लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें। दिल्ली से नोएडा या नोएडा से दिल्ली जाने वाले लोग डीएनडी फ्लाईवे, आश्रम मार्ग या बदरपुर होते हुए मथुरा रोड का इस्तेमाल करें। इन मार्गों पर फिलहाल कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, और ये अपेक्षाकृत कम भीड़ वाले रहेंगे।
क्या है कांवड़ यात्रा और क्यों होता है इतना बड़ा असर?
श्रावण मास के दौरान देशभर से शिव भक्त हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थलों से गंगाजल लेकर अपने-अपने क्षेत्रों के शिवालयों में जल चढ़ाने के लिए पैदल यात्रा करते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। गाजियाबाद, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र कांवड़ियों के प्रमुख मार्गों में शामिल हैं। हर साल सावन में इन मार्गों पर लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हैं, जिसके चलते प्रशासन को सुरक्षा, स्वास्थ्य और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए विशेष इंतज़ाम करने पड़ते हैं। इसी क्रम में इस बार भी जिले के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और कोई अव्यवस्था न फैले।