विभाग ने अभ्यारण्य क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त करने पर्यटन स्थलों पर सफाई अभियान की शुरुआत करते हुए दमोह जल प्रपात, नाका एवं चौकियों की सफाई की गई साथ ही सैलानियों को जागरूक करते हुए अभ्यारण्य क्षेत्र में पॉलिथीन सहित कचरा नहीं फैलाने के लिए प्रेरित किया। वन्यजीव अभ्यारण्य रेंजर देवेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि वर्षा की अतिवृष्टि एवं वन्यजीवों की सुरक्षा को मध्येनजर रखते हुए दमोह जलप्रपात पर सैलानियों को झरने में नहीं नहाने एवं वन क्षेत्र मे कचरा नहीं फैलाने के लिए प्रेरित किया गया है। वहीं धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व के बफर जोन की अधिसूचना जारी होने से ग्रामीणों में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए उप वन संरक्षक वन्यजीव धौलपुर डॉ. आशीष व्यास ने कहा कि सरकार का बफर जोन से किसी भी गांव का विस्थापन करने का इरादा नहीं है। न ही कोई भी ग्राम विस्थापन किया जाएगा। इसी प्रकार कोर जोन में से पूर्णत: स्वैच्छिक होने पर ही गांव का विस्थापन होगा। डीएफओ ने कहा कि क्षेत्र में धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व बनने से ग्रामवासियों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे साथ ही ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि विभाग किसी भी प्रकार का दबाव या जोर जबरदस्ती से ग्राम को विस्थापन नहीं करेगा। उप वन संरक्षक धौलपुर डॉ. व्यास ने ग्रामीणों से किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है।
सरमथुरा के जंगल बाघों के लिए बने आदर्श आश्रय स्थल करौली-धौलपुर वन्यजीव अभ्यारण्य अन्तर्गत सरमथुरा के जंगल बाघों के लिए हर दृष्टि से अनुकूल है। वन्यजीव अभ्यारण्य का कोर एरिया करीब 599 वर्ग किलोमीटर एवं बफर एरिया करीब 457 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। अभ्यारण्य का कुल रिजर्व एरिया 1075 वर्ग किलोमीटर है। लम्बे समय से रणथंभौर अभ्यारण्य से बाघ सरमथुरा के जंगल में विचरण करने आते रहे हैं। जो अभ्यारण्य बनने के बाद बाघों के लिए आदर्श आश्रय स्थल बन गया है। फिलहाल में अभ्यारण्य में एक टाइगर, एक टाइग्रेस व दो शावक विचरण कर रहे हैं। वहीं टाइगर 116 से कभी कभी मिलने प्रेमिका टाइग्रेस 2305 अभ्यारण्य में दस्तक दे देती है। हालांकि गांवों के विस्थापन होने से ग्रामीण भयभीत जरूर है लेकिन वन अधिकारी अभ्यारण्य को लोगों की प्रगति के रूप में देख रहे है।