बीमार भी ऐसे ही जाते
स्थानीय बच्चे रोजाना नदी के गहरे पानी को पार करने के लिए ट्यूब पर चारपाई बांधकर बने खटोले का सहारा लेते हैं। यही नहीं, बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना हो या घर-गृहस्थी का सामान खरीदने बाजार जाना हो। ग्रामीणों को हमेशा इसी खटोले पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे मुख्य सड़क तक पहुंचने का करीब 5-6 किलोमीटर लंबा रास्ता महज एक किमी का रह जाता है।
इन गांवों की है समस्या
बरसों से आरी, मढ़ैया, भूरा का पुरा, बघेलों का पुरा, महंत का अड्डा और पंछी का पुरा जैसे गांवों के लोग इसी तरह नदी पार करते आ रहे हैं। ग्रामीण मोहन सिंह व राम खिलाड़ी बताते हैं कि कई बार नदी पर पुल या रपट बनाने की मांग पंचायत और प्रशासन से की गई लेकिन केवल आश्वासन ही मिला कुछ हुआ नहीं।
सडक़ से दूरी 5-6 किलोमीटर
आरी, मढ़ैया और आसपास के गांवों से तसीमों कस्बे की सडक़ से दूरी करीब 6 किलोमीटर है जबकि उपखंड मुख्यालय सैंपऊ 5 किलोमीटर दूर पड़ता है। ऐसे में लोग जोखिम उठाकर भी एक किलोमीटर की नदी पार करना बेहतर समझते हैं। लेकिन इससे हादसे की आशंका रहती है।