धौलपुर. जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के साथ ही धौलपुर को नर्सिंग कॉलेज की सौगात मिली थी। जिसके बाद सरकार ने नर्सिंग कॉलेज तो खोल दिया, लेकिन सहूलियत के हिसाब से कॉलेज में व्यवस्था नहीं की गई। आलम यह है कि कॉलेज में केवल 3 ही शिक्षक हैं। जिनमें एक खुद प्रिंसीपल शामिल हैं इन लोगों पर 240 छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा है। यानी देखा जाए तो एक शिक्षक 80 छात्रों को पढ़ा रहा है।
दो साल पहले शहर में खोले गए नर्सिंग कॉलेज के बाद क्षेत्र के नर्सिंग छात्रों को अपने बेहतर कल के सपने को साकार करने का माध्यम मिला था। लेकिन सरकार की उदासीनता अब इन छात्रों पर भी भारी पड़ रही है। दरअसर सरकार कॉलेज स्तर के हिसाब से अभी तक व्यवस्थाएं नहीं की हैं। कॉलेज में प्रिंसीपल, बाइस प्रिंसीपल, प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्यूटर सहित अन्य 42 पद स्वीकृत हैं। लेकिन इन 42 पदों की अपेक्षा कॉलेज में केवल 10लोग ही कार्यरत हैं। जिनमें एक प्रिंसीपल और दो टीचर भी शामिल हैं। यानी कॉलेज में छात्रों को पढ़ाने तक के लिए शिक्षकों की व्यवस्था सरकार नहीं कर पाई है। इस स्थिति में कैसे हम यह सोच सकेंगे हमारे होनहारों का भविष्य उज्जवल होगा। देखा जाए तो कॉलेज का कार्यप्रणाली राम भरोसे ही संचालित हो रही है।
कॉलेज में 41 पद स्वीकृत कॉलेज में कुल41 पद स्वीकृत हैं जिनमें से प्रिंसीपल 1, बाइस प्रिंसीपल 1, प्रोफेसर २, एसिस्टेंट प्रोफेसर 3, ट्यूटर 16, लाइब्रेरियन 1, तकनीकी विभाग में ईए 7, एमपीएस 10 जिनमें से तीन कार्यरत हैं और गार्ड के 3 पद शामिल हैं। इनमें से अधिकांश पद खाली ही हैं। केवल प्रिंसीपल, २ ट्यूटर, 3 एमपीएस और एक गार्ड का पद ही भरा हुआ है। देखा जाए तो कॉलेज में स्टॉफ की भारी कमी के कारण प्रबंधक को दैनिक कार्यों में भी परेशानी उठानी पड़ रही है।
प्रिंसीपल सहित केवल तीन शिक्षक कॉलेज में 240 नर्सिंग छात्र अध्ययन कर रहे हैं। जिनकी चार बैच लगती हैं। प्रत्येक बैच में 60 छात्र होते हैं। कॉलेज के पास इन छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल 3 ही शिक्षक हैं जिनमें से एक खुद प्रिंसीपल नीलम ङ्क्षसह हैं। जो शिक्षकों के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं। अब देखा जाए तो एक शिक्षक80बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहा है। इस स्थिति में शिक्षा का स्तर भी शिक्षकों को बनाए रखना होता है। देखा जाए तो इन परिस्थितियों में कैसे नर्सिंग कॉलेज में छात्रों का अध्ययन होता होगा? शायद हमारी सरकार इस ओर नहीं देख रही।
पीने को पानी नहीं…पीएचईडी नहीं सुन रहा किसी शिक्षण संस्था के अलावा अन्य संस्था में पीने का पानी सर्वप्रथम होता है। लेकिन नर्सिंग कॉलेज में पिछले दो सालों से शासन पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं करा पाया। कॉलेज प्रबंधक ने पीएचईडी को कई बार लिखित में पेयजल पाइप लाइन डालने सहित अन्य कार्यों पर कितना खर्चा आएगा जिसका एस्टिमेंट बनाकर कह चुका है। जिसका आरएसडीसी भुगतान करने को भी तैयार है, लेकिन आंखें और कान बंद किए बैठा पीएचईडी विभाग यह सब नहीं देख रहा। यही कारण है यहां पढऩे वाले छात्र भीषण गर्मी में परेशानियों से घिरे रहते हैं। मजबूरन कॉलेज प्रबंधक को पानी का टैंकर मंगाकर पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है।
हॉस्टल तैयार, लेकिन नहीं हुआ शुरू नर्सिंग कॉलेज में बाहर के छात्रों के लिए हॉस्टल भी तैयार हो चुका है, लेकिन वहीं शासन…की उदासीनता…जिसके कारण अभी तक हॉस्टल प्रारंभ नहीं हो सका। क्योंकि हॉस्टल के लिए शासन ने अभी तक छात्रों से ली जाने वाली फीस के अलावा नियम और कानून तक तय नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा हॉस्टल में सामान भी भेजा गया है साथ ही गार्ड सहित स्टाफ की तैनात तक नहीं की गई है।
कॉलेज में छात्रों को अध्ययन करने वाले शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा अन्य पद भी रिक्त हैं। पानी के लिए पीएचईडी विभाग को एस्टिमेंट बनाने को कह चुके हैं लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
-नीलम सिंह, प्रिंसीपल नर्सिंग कॉलेज