अंधविश्वास से दूरी
महाराज बताते हैं कि घोड़े की नाल का छल्ला या अन्य ऐसे उपाय केवल बाहरी चीजें हैं। ये असली सुरक्षा नहीं देते। जो व्यक्ति राधा राधा या कृष्ण कृष्ण का सच्चे मन से नाम लेता है, वह शनि या किसी भी ग्रह के प्रभाव से नहीं डरता। भगवान का नाम ही सबसे बड़ा कवच है।
शनि से डरने की जरूरत नहीं
उनका संदेश स्पष्ट है, शनि को डराने या प्रसन्न करने के लिए बाहरी उपायों से ज्यादा जरूरी है उनकी सच्ची आराधना। अगर आप भगवान में विश्वास रखते हैं, तो चाहे शनि हो, राहु हो, केतु हो या कोई भी ग्रह, वे आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकते।
विपत्ति भी बन सकती है साधना
महाराज कहते हैं, अगर भगवान की इच्छा से जीवन में कोई कठिनाई आती है। जैसे चोट लगना, बीमारी, या आर्थिक नुकसान, तो उसे भी भगवान की लीला मानना चाहिए। कभी-कभी ये कष्ट हमें आत्मिक रूप से और मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
प्रह्लाद जी का उदाहरण
उनका मानना है कि यह मार्ग बेहद सरल और सीधा है। विश्वास, धैर्य और सतत नामजप। जो इसे अपनाता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं, और किसी ग्रह-नक्षत्र की शक्ति उस पर असर नहीं डाल सकती। उन्होंने प्रह्लाद जी की कथा का भी उल्लेख किया, जिसमें वे कहते हैं कि कैसे असुरों के वार, आग, पानी, और पहाड़ भी एक सच्चे भक्त को नुकसान नहीं पहुंचा पाए, क्योंकि प्रह्लाद जी हर पल हरि हरि का नाम लेते थे। प्रेमानंद महाराज का अंतिम संदेश
- डरना नहीं – चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, मन में भय न आने दें।
- अन्य आश्रय न लें – किसी और साधन या टोटके पर निर्भर न रहें।
- भगवान का नाम न भूलें – दिन-रात राधा राधा या कृष्ण कृष्ण का स्मरण करते रहें।