Tiger in Dhamtari: निगरानी में 150 कैमरे
टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि टाइगर की निगरानी के लिए 150 नए कैमरे लगाए गए हैं। इनमें से एक में तस्वीर आई है। इधर जिले के जंगल में टाइगर के वापसी के साथ ही अरसीकन्हार, रिसगांव रेंज में ग्रामीणों को अलर्ट रहने कहा गया है। शनिवार को इसी टाइगर ने एक बैल का शिकार किया है। 26 दिन पहले इसी टाइगर ने कुल्हाड़ी घाट गरियाबंद के जंगल में 2 बैल का शिकार किया था। बारिश में 3 कैमरे बेकार, कुछ कैमरे के रेंज में नहीं आया टाइगर
8 दिन पहले संदबाहरा में टाइगर के पगचिन्ह मिले थे। इसके बाद से टाइगर रिजर्व के अधिकारी कैमरा लगाने और बाघ के ट्रैक होने में जुट गए थे। अभी भी उक्त टाइगर के ज्यादा फुटेज अधिकारियों के पास नहीं है। उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि शनिवार की तेज बारिश में तीन कैमरे बेकार हो गए, जिसके कारण इन कैमरों में टाइगर ट्रैक नहीं हो पाया। एक कैमरे में टाइगर की एक तस्वीर सामने आई है। एक अधिकारी ने बताया कि टाइगर की तस्वीर को लेकर बड़ा संयोग भी रहा। रिजर्व क्षेत्र में जगह-जगह कैमरे लगे हैं। यह टाइगर कैमरे की रेंज आने के पहले ही रास्ता बदल ले रहा था। यही कारण है कि अधिकांश कैमरों में तस्वीरें नहीं आ पाई।
2005 में आखिरी बार दिखा था टाइगर
2008-09 में गरियाबंद जिले के उदंती और धमतरी जिले के सीतानदी अभयारण्य को मिलाकर भारत सरकार ने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का गठन किया था। धमतरी जिले के सीतानदी रेंज में वर्ष-2005 में बाघ को अंतिम बार देखा गया था। इस दौरान हुए गणना में 5 बाघों की पुष्टि हुई थी। फिलहाल बाघ की उपस्थिति के प्रत्यक्ष प्रमाण मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी सतत निगरानी कर रहे हैं। कैमरा लगाने से लेकर बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
दो और टाइगर लाने की तैयारी
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व 1842.54 वर्ग किमी में फैला है। अधिकारी बाघ के लिए इसे मध्य भारत का सबसे बेहतर रहवास क्षेत्र मान रहे हैं। यही वजह है कि मध्यप्रदेश से उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ-बाघिन का जोड़ा लाने की तैयारी चल रही है। उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि मध्य प्रदेश के किसी भी रिजर्व क्षेत्र से बाघ-बाघिन को लाया जाएगा। इसका फैसला पीसीसीएफ करेगा। इसमें डेढ़ से दो महीने का वक्त लग सकता है।
तलाश रहा रहवास
उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि पूर्व में यह टाइगर उड़ीसा बार्डर में था। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व अंतर्गत कुल्हाड़ी घाट गरियाबंद में दूसरी बार टाइगर ट्रैक हुआ। इसके बाद अरसीकन्हार रेंज में पगचिन्ह मिले। टाइगर लगातार घूम रहा है। संभवत: वह अपना उचित रहवास क्षेत्र तलाश रहा है।