पुल में भारतमाला प्रोजेक्ट की हैवी वाहनें इसी पुल से गुजर रही है। इसके अलावा रोजाना हजारों वाहन पुल से होकर जा रहे। पिछले कुछ वर्षों से पुल की कंपन बढ़ी है। पुल की लाइफ 45 से 50 साल मानी जा रही है। ऐसे में अछोटा पुल को लेकर अभी से शासन-प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा।
CG News: 44 साल पुराना अछोटा पुल
धमतरी शहर से करीब तीन किमी की दूरी पर ग्राम अछोटा में
महानदी के ऊपर सुगम अवागमन की सुविधा के लिए वर्ष-1981 में सेतु निगम की ओर से करीब 2 करोड़ 70 लाख रूपए की लागत से 682 मीटर लंबा पुल का निर्माण किया गया है। यह पुल ग्राम कुकरेल, नरहरा जलप्रपात, बनरौद, माड़मसिल्ली, नगरी-सिहावा, बोराई और ओडिशा प्रदेश को सीधे छत्तीसगढ़ से जोड़ता है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष-1972-73 में कोलियारी और अछोटा के बीच पुल निर्माण के लिए तत्कालीन विधायक केशरीमल लुंकड़ के प्रयास से तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी ने इसके निर्माण के लिए राशि स्वीकृत किया था। स्वीकृति के बाद 21 पिल्लरों पर खड़ा 682 मीटर लंबा पुल का निर्माण किया गया।
पत्रिका टीम ने शनिवार को जर्जर हो चुके अछोटा पुल का जायजा लिया। सुबह से लेकर देर रात इस मार्ग मेें हैवी वाहनों का आना-जाना लगा हुआ है। जैसे ही हैवी वाहन इस पुल से
गुजरती हैं इसमें तेजी से कंपन होने लगता है। पुल के ऊपर जगह-जगह गड्ढेे उभर गए हैं। रेलिंग भी जगह-जगह से दरक गई है। पुल में करीब 5 फीट तक लंबी दरारें आ गई थी, जिसकी सेतु विभाग की ओर से मरमत कराई गई थी। इस बीच मानसून आने से अब पेंच वर्क फिर से उखड़ने लगा है।
अछोटा पुल…
पुल की वास्तविक आयु – करीब 50 साल पुल की कुल लागत – 2 करोड़ 70 लाख पुल की लंबाई 682 मीटर प्रतिदिन वाहनों का होता है आवागमन- लगभग 5 हजार पुल की वर्तमान स्थिति – जर्जर अछोटा पुल का निर्माण वर्ष-1981
नए पुल के प्रस्ताव को स्वीकृति का इंतजार
सेतु निगम के एई आदित्य कुमार ने बताया कि कोलियारी और अछोटा के बीच 900 मीटर लंबी और 13 मीटर चौड़ी पुल निर्माण के लिए शासन को 58 करोड़ रूपए का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है।
प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार है। नया पुल पहले से ज्यादा मजबूत होगा। नया पुल पुराने पुल के बाजू में ही बनेगा। पूर्व में नदी के सतह की मजबूती की जांच के लिए मशीन से खुदाई की गई थी। सतह से निकले पत्थरों को जांच के लिए लैब भेजा गया था।
मेघा पुल पहले ही ढह चुका
सितंबर-2024 में मगरलोड और कुरुद जोडऩे वाला मेघा पुल ढह चुका है। कुछ महीने पूर्व आवागमन के लिए रपटा तैयार किया गया था। यह भी पहली बारिश में ही बह गया।
क्षेत्रवासियों का आवागमन बंद हो गया है। लोगों को घूमकर कुरुद-मगरलोड पहुंचना पड़ रहा है। पुल ढहने का कारण अवैध रेत खनन ही निकला था।
यहां पुल के नीचे पिल्लर के आसपास से ही रेत खनन किया जा रहा था। अछोटा पुल के आसपास भी वर्षों से खनन किया जा रहा है। अछोटा पुल से रोजाना 5 हजार से अधिक बड़े वाहन गुजरते हैं। केशकाल घाटी में जाम या रिपेयरिंग होने पर इसी पुल से आवागमन होता है। तब वाहनों की संया बढक़र डबल हो जाती है।