script30 साल में पहली बार जुलाई में छलका एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध, राजस्थान के 2 जिलों में खिल उठे किसानों के चेहरे | Asia largest Kachha Dam created a new record, the dam overflowed in July for the first time in 30 years | Patrika News
दौसा

30 साल में पहली बार जुलाई में छलका एशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध, राजस्थान के 2 जिलों में खिल उठे किसानों के चेहरे

Morel Dam New Record: दौसा व सवाईमाधोपुर जिले के हजारों किसानों के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाला एशिया के सबसे बड़े कच्चा डेम मोरेल बांध लगातार दूसरे साल छलक पड़ा है।

दौसाJul 19, 2025 / 09:08 am

Anil Prajapat

Asia largest Kachha Dam new record

मोरेल बांध हुआ ओवरफ्लो, चली चादर। फोटो: पत्रिका

Morel Dam: दौसा व सवाईमाधोपुर जिले के हजारों किसानों के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाला एशिया के सबसे बड़े कच्चा डेम मोरेल बांध लगातार दूसरे साल छलक पड़ा है। बांध पर शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे से चादर चलना शुरू हो गई। शुरुआत कुछ घंटों में वेस्ट वेयर पर पानी की स्पीड धीमी रही, लेकिन दोपहर के बाद चादर पूरे वेग से चलने लगी और शाम होते होते करीब 2 इंच की चादर चल पड़ी। बांध पर गत वर्ष भी करीब तीन माह के लंबे समय तक चादर चली थी और दोनों जिलों के किसानों को भरपूर पानी सिंचाई के लिए मिला था। इस वर्ष भी बांध पर चादर चलने से दोनों जिलों के किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। मौके पर बड़ी संया में लोग नजारे को देखने के लिए पहुंचे।
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि कुल भराव क्षमता 30 फीट 5 इंच की भराव क्षमता वाला मोरेल बांध शुक्रवार सुबह पूरा भर गया। बीती रात्रि बांध का जल स्तर करीब एक इंच व सुबह 6 बजे से 10 बजे तक 1 इंच बढते पूरी तरह लबालब हो गया, दोपहर से ही बांध पर चादर चलना शुरू हो गई। आगामी दिनों में बांध के केचमेंट एरिया में बारिश का दौर बना रहता तो वेस्ट वेयर पर जल स्तर बढ सकता है।
उन्होंने बताया कि बांध पर चादर चलने के साथ विभाग सतत निगरानी रख रहा है। मिट्टी के कट्टे भरने का काम शुरू कर दिया है। चादर चलने के हालात में सुरक्षा की दृष्टि से वेस्ट वेयर पर लोगों व वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। शनिवार से वेस्ट वेयर पर लोगों के आवागमन को पूरी तरह रोक दिया जाएगा। वहीं मंडावरी थानाधिकारी घासीराम ने बताया कि शुक्रवार से ही मोरेल बांध पर पुलिस जाप्ता तैनात कर दिया है। वेस्ट वेयर पर आम लोगों को जाने सेे रोका जा रहा है।
Morel Dam new record

तीन दशक बाद जुलाई माह में ही भरा

उपखण्ड के कांकरिया गांव के पास दौसा व सवाई माधोपुर के बीच मोरेल नदी पर इस बांध का निर्माण कार्य 1952 में हुआ था। 1982 की बाढ में यह बांध टूट गया था तथा तब देश में चर्चा का विषय भी बना था। इसके बाद यह बांध अब तक कई बार लबालब हो चुका है, लेकिन इस बार बीते तीन दशकों में पहली बार यह बांध जुलाई माह में ही पूरा भर गया है।
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19 हजार हैक्टेयर भूमि में होती है सिंचाई

मोरेल बांध की दो नहरों से हर साल रबी की फसलों के लिए पानी छोड़ा जाता है। इससे करीब 19 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। साथ ही बांध के इर्द-गिर्द बसे दर्जनों गांवों में भी भूजल स्तर की बढोतरी होगी। दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्व नहर कुल 6705 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई करती है। 31.4 किमी लंबी इस नहर से दौसा जिले की 1736 हैक्टेयर भूूमि सिंचित होती है।
Morel Dam new record
इस नहर से कुल 28 गांवों के किसानों में सिंचाई होती, जिसमें दौसा जिले के 13 एवं सवाई माधोपुर जिले के 15 गांव शामिल हैं। बांध के पानी का सबसे अधिक लाभ सवाई माधोपुर जिले की बौली एवं मलारना डूंगर तहसीलों के कुल 55 गांवों को होता है। इन गांवों की कुल 12 हजार 388 हैक्टेयर भूमि पर बांध की 28 किलोमीटर लंबी मुय नहर से सिंचाई होती है।

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