सास की परवरिश करना थी चुनौती
सोमवती चौहान के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा था। दो बच्चे और विधवा बूढ़ी सास की परवरिश करने की चुनौती थी। राजपूत क्षत्रिय महासभा द्वारा विगत 29 वर्षो से मृत्यु भोज प्रथा को खत्म करने का निर्णय लिया गया था। उस पर आज अभी तक समाज कायम है। इसी के तरह एक निर्णय पुनर्विवाह को लेकर भी लिया। बरोदा गांव में इसे लोगों ने स्वीकार किया। अविवाहित युवक पुष्पराज ङ्क्षसह राजपूत ने आगे आकर सोमवती चौहान का हाथ थामने का निर्णय लिया। उन्होनें उस महिला के दो बच्चों के साथ-साथ उसकी बूढी सांस को भी मां का दर्जा देकर सभी की परवरिश की जवाबदारी ली। शंकर, हनुमान मंदिर बरोदा में आयोजित एक सादे कार्यक्रम में राजपूत समाज के सैकड़ों लागों की उपस्थिति में विवाह किया।
यह रहे मौजूद
महासभा के संरक्षक देवी ङ्क्षसह राजपूत, जिला अध्यक्ष राकेश ङ्क्षसह हजारी, कार्यकारी अध्यक्ष धन ङ्क्षसह राजपूत, वरि. उपाध्यक्ष लक्ष्मण ङ्क्षसह राजपूत, कोषाध्यक्ष बलवान ङ्क्षसह ठाकुर, कार्यालय मंत्री राम ङ्क्षसह राजपूत, पटेरा अध्यक्ष खिलान ङ्क्षसह पवैया, गोङ्क्षवद ङ्क्षसह राजपूत, हटा अध्यक्ष बृजेन्द्र ङ्क्षसह राजपूत, अरङ्क्षवद ङ्क्षसह राजपूत, विजय ङ्क्षसह राजपूत, बटियागढ़ अध्यक्ष राघवेन्द्र ङ्क्षसह राजपूत, युवा सभा के उपाध्यक्ष धीरज ङ्क्षसह राजपूत एवं सभी ब्लाकों के पदाधिकारी की उपस्थिति रहीं।