बता दें, प्रदर्शन के दौरान स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को अस्पताल के मुख्य द्वार से हटने के लिए कहा, लेकिन कार्यकर्ता नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया और आधा दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आरोप
यूथ कांग्रेस का कहना है कि डीबी अस्पताल, चूरू जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, लंबे समय से अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक लापरवाही के कारण बदनाम रहा है। यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आसिफ खान ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल रहा, दवाइयों की कमी है और डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आसिफ खान ने यह भी दावा किया कि प्राचार्य डॉ. पुकार सत्ताधारी पार्टी के साथ मिलकर अस्पताल की कमियों को नजरअंदाज कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सुधारों की मांग की। जवाब में डॉ. पुकार मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए।
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने भारी संख्या में बल तैनात किया था। जब प्रदर्शनकारी अस्पताल के गेट पर डटे रहे और पुलिस की चेतावनी को अनसुना कर दिया, तो पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान पुलिस ने करीब छह से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में पुलिस को कार्यकर्ताओं को गाड़ियों में ले जाते हुए देखा गया। कुछ कार्यकर्ता छोड़ने की गुहार लगाते दिखे, जबकि अन्य ने विक्ट्री साइन दिखाकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
डोटासरा ने बताया लोकतंत्र पर हमला
इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कांग्रेस नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस का लाठीचार्ज लोकतंत्र पर हमला है। चूरू सांसद राहुल कासवान और अन्य नेताओं ने भी इस कार्रवाई को तानाशाही करार दिया।
लंबे समय से मिल रही थी शिकायत
बताते चलें कि चूरू के डीबी अस्पताल में अव्यवस्थाएं कोई नई बात नहीं हैं। स्थानीय लोग लंबे समय से खराब चिकित्सा सुविधाओं, दवाइयों की कमी और स्टाफ की लापरवाही की शिकायत करते रहे हैं। यूथ कांग्रेस ने मांग की है कि अस्पताल में तत्काल सुधार किए जाएं, मरीजों को बेहतर इलाज मिले और प्रशासनिक लापरवाही पर सख्त कार्रवाई हो।