तहसीलदार प्रहलाद राय पारीक ने बताया कि अब नई तारीख तय कर मतदान करवाया जाएगा। इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में बवाल मचा दिया है। कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
चुनाव टलने से भड़के कांग्रेस के नेता
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में भाजपा सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सरदारशहर में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में निर्वाचन अधिकारी की अनुपस्थिति सरकार के दबाव का नतीजा है। गहलोत ने लिखा कि भाजपा सरकार द्वारा राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या का एक और उदाहरण, आज नगरपरिषद सरदारशहर में भाजपा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में 11 बजे मीटिंग आहूत की गई थी जिसमें भाजपा के सभापति को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जाना तय है लेकिन राज्य सरकार के दबाव में अभी तक चुनाव अधिकारी एडीएम अनुपस्थित हैं।
उन्होंने कहा कि पहले भादरा में भी इसी तरह भाजपा के पक्ष में चुनाव अधिकारी की अनुपस्थिति हो गई थी जो मामला कोर्ट में गया और कांग्रेस की चेयरमैन बनी। मैं चूरू जिला प्रशासन से कहना चाहता हूं कि भाजपा सरकार के पक्ष में कार्य करने की बजाय लोकतंत्र के हित में कार्य करें।
टीकाराम जूली ने भी साधा निशाना
वहीं, नेता विपक्ष टीकाराम जूली ने भी भाजपा पर लोकतंत्र का मखौल उड़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डरपोक भाजपा लोकतंत्र से खिलवाड़ बंद करो… नगर परिषद सरदारशहर के सभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के लिए नियमानुसार आज बैठक रखी गई, जिसमे भाजपा के सभापति के खिलाफ दो तिहाई से अधिक पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव आ रहा था l लेकिन भाजपा सरकार के इशारे पर चुनाव अधिकारी का बैठक में अनुपस्थित रहना न केवल संविधान का अपमान है, बल्कि यह कानून और लोकतांत्रिक व्यस्थाओं का खुला मज़ाक उड़ाया जा रहा है। टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा न तो संविधान को मानती है, ना ही कानून को, ये लोग जनप्रतिनिधियों का निरंतर अपमान कर, तानाशाही मानसिकता में उतर चुके हैं। ये लोकतंत्र नहीं, सत्ता का दुरुपयोग है l डरो मत।
नगरपरिषद में कुल 57 सदस्य
इधर, मतदान की व्यवस्था के लिए नगरपरिषद कार्यालय के बाहर बैरिकेड्स लगाए गए थे और थाना अधिकारी मदन विश्नोई पुलिस बल के साथ मौजूद थे। गौरतलब है कि नगरपरिषद में कुल 57 सदस्य हैं, जिनमें 55 निर्वाचित पार्षद और 2 पदेन सदस्य (सांसद और विधायक) शामिल हैं। अविश्वास प्रस्ताव पास होने के लिए तीन-चौथाई यानी 43 मतों की जरूरत है। 30 मई को कांग्रेस और भाजपा के 44 पार्षदों ने कलेक्टर को प्रस्ताव सौंपा था।