25 करोड़ किए थे स्वीकृत
राज्य सरकार ने उक्त फीडर के जीर्णोद्धार कार्य के लिए सन 2024 के बजट में 25 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है किंतु विभाग की अनदेखी एवं उदासीनता से कार्यादेश में विलंब होने से उक्त जीणोद्धार कार्य समय पर प्रारंभ नहीं हो पाया, जिससे फीडर की साफ सफाई भी यथोचित नहीं हो पाई। फीडर मार्ग में जीतावास गांव में निजी खातेदारी की कृषि भूमि के खातेदारों के लिए पाइप डालकर दो पुलिया निर्मित कराई गई है।
मातृकुंडिया बांध में जा रहा पानी
जीतावास से रेलमगरा के मध्य स्थित पुलिया के पाइपो के माध्यम से तेज गति से पानी मातृकुंडिया बांध में जा रहा है। इस पुलिया पर सभी पाइपों से दूर रेलमगरा की तरफ दो पाइप लगा रखे हैं। वहां रेलमगरा की ओर बनास नदी के तल में रेती का टीला नहीं हटाया गया है। जिससे दोनों पाइपों में फीडर में पानी की कमजोर आवक हो रही है। यदि मानसून की वर्षा पूर्व रेत के टिले को हटाकर तल को समतल कर दिया गया होता तो फीडर के गेट में पानी की पर्याप्त आवक होती रहती एवं पानी की आवक में कोई व्यवधान नहीं रहता। इसी क्रम में वर्षा पूर्व सिदेंसर गांव के बस स्टैंड से गांव के मध्य स्थित काजवे के स्थान पर पाइपों की पुलिया का निर्माण कर दिया गया होता तो काजवे पर पानी की धीमी गति नहीं रहती तथा फीडर में पानी की पर्याप्त आवक बनी रहती। उल्लेखनीय है कि उक्त फीडर के गेट खोलने के बाद पहले पछमता का तालाब आगे गिलूण्ड का तालाब भरने के बाद भोपाल सागर एवं धमाणा के तालाबों में पानी आएगा। धमाणा का तालाब भरने के बाद कपासन के तालाब में पानी की आवक होगी। गुरुवार को सिदेसर स्थित दोनों एनिकट लबालब हो गए हैं।