उल्लेखनीय है कि 29 मार्च से पहले नगर निगम संचालित इस गोशाला में हर दिन गोवंश की मौतें भूसा न मिल पाने से हो रही थी। हालत यह थी कि एक दिन में तीन-चार गोवंश मर रहे थे। इसकी जानकारी मिलने पर नगर निगम अध्यक्ष धर्मेन्द्र सोनू मागो और कांग्रेस पार्षदों ने इसका निरीक्षण किया था। उन्होंने इस दुर्दशा और अव्यवस्था का मुद्दा नगर निगम की परिषद में उठाया और अधिकारियों से सवाल-जवाब किए थे। इस पर कमिश्नर ने व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया था।
इसके बाद गोशाला के चार प्रभारी के पद खत्म किए गए। तीन सुपरवाइजर बढ़ाए गए। दो कर्मचारी रखे गए। संपूर्ण गोशाला का प्रभारी निगम स्वच्छता अधिकारी अनिल मालवी को बनाया गया। इसके बाद निगम कर्मचारियों ने यहां पर्याप्त भूसा का इंतजाम किया। पशुपालन विभाग के डॉक्टर भी नियमित निरीक्षण में जाने लगे। इसका नतीजा यह रहा कि गौशाला की व्यवस्थाएं सुधर गई है।
बंद पड़ा गोमूत्र एवं कीटनाशक का निर्माण
इस गोशाला में पांच साल पहले गोमूत्र और कीटनाशक का निर्माण शुरू किया गया था। कोरोना संक्रमणकाल के बाद इसका निर्माण बंद कर दिया गया। जबकि इसे किसानों को बेच कर लाभ कमाया जाता था। पशु चिकित्सक ये काम देखते थे। फिलहाल इसे पुन: शुरू करने की मांग की जा रही है। इस गोशाला में इस समय 180 गोवंश मौजूद हंै। कर्मचारियों के मुताबिक गोशाला की क्षमता 220 पशु है। यहां शहर सें आवारा घूम रहे पशुओं को पकडकऱ लाया जाता है। पहले इन्हें कांजी हाउस में ले जाते थे, अब इसकी व्यवस्था गोशाला में की गई है।
व्यवस्थाओं में किया गया है सुधार
गोशाला में पिछले दो माह में लगातार व्यवस्थाओं में सुधारीकरण किया गया है। गोवंश को पर्याप्त भूसा, पानी और सब्जियां दी जा रही है। उनका चिकित्सकीय इलाज कराया जा रहा है। अनिल मालवी, स्वास्थ्य अधिकारी एवं गोशाला प्रभारी, नगर निगम