नगर निगम क्षेत्र के 48 वार्ड में इस समय भाजपा के 34 और कांग्रेस के 14 पार्षद है। महापौर भाजपा के है। ऐसे में पार्षदों की स्थिति आकस्मिक तौर पर टटोली तो यह स्थिति सामने आई। कुछ पार्षदों के कहा कि उनके वार्ड के निर्माण कार्य की फाइल नगर निगम में पैंडिंग है। टेंडर लेकर काम ले लिए गए है लेकिन आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। यदि उन्हें सांसद-विधायकों की तरह विकास निधि जैसे फंड का प्रावधान होता तो वे अपने वार्ड की जनापेक्षा के मुताबिक कार्य करा सकते थे। फिलहाल निगम को मेट्रो सिटी की तरह विकास निधि का प्रावधान करना चाहिए। तभी पार्षद अपने इलाकों की रोड, नाली, पुल-पुलिया का निर्माण करा सकते हैं।
पार्षदों के ये मुद्दे: कहीं सडक़ नहीं तो कहीं पार्क बदहाल
पार्षदों की विकास निधि का प्रावधान नहीं है इसलिए वे विकास नहीं करा पा रहे है। उनके वार्ड से लगे राजपाल चौक से कुक्कन चौक के बीच तलैया के पास पार्क बदहाल है। बाउंड्रीवाल टूट गई। निगम अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।–हंसा दाढ़े, पार्षद वार्ड नं. 32 व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम।
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वार्ड में छापाखाना की रोड स्वीकृत है। विकास निधि के बारे में जानकारी लेनी पड़ेगी। सार्वजनिक मूत्रालय की समस्या अलग है। आज तक बन नहीं पा रहा है।
–राहुल मालवी, पार्षद वार्ड नं.29
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नगर निगम मेें विकास निधि का पता नहीं लेकिन निगम अधिकारी पार्षद से गांव में सात लाख और शहर में पांच लाख रुपए के विकास प्रस्ताव मांग रहे हैं। हम ये उसे देंगे।
-जगदीश गोदरे, पार्षद वार्ड नं.23
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पार्षदों की विकास निधि होती तो हम काम कर पाते। हमारे वार्ड में प्रियदर्शिनी कॉलोनी से महुआ टोली की 1.75 किमी सडक़ बन नहीं पा रही है। अधूरे पुल-पुलिया और नालियां पड़ी है।
-लोकेश डेहरिया, पार्षद वार्ड नं.47
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मेट्रो सिटी के नगर निगम की तरह हर पार्षद को विकास निधि का प्रावधान हो तो हर वार्ड में सडक़, बिजली, पानी, पुल-पुलिया और नाली का निर्माण हो सकता है। अभी चाहकर भी ये काम नहीं हो पाते।
-अनु अभिलाष गौहर, पार्षद वार्ड नं.18
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नगर निगम की निधि है। पार्षदों की अनुशंसा पर उनके वार्ड में विकास कार्य कराए जाते हैं। अलग से पार्षदों की विकास निधि का प्रावधान नहीं है।
-सीपी राय, आयुक्त नगर निगम।