scriptजिले में भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, 8 माह में 106 लोगों ने दी जान, इसमें 20 छात्र शामिल | Patrika News
छतरपुर

जिले में भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, 8 माह में 106 लोगों ने दी जान, इसमें 20 छात्र शामिल

मानसिक तनाव, धैर्य की कमी और नशे की लत सहित ऐसे कई कारण हैं जो आत्महत्या के लिए बड़ी वजह बन जाते हैं। आत्महत्या एक ऐसा विषय बन गया है जो समाज में एक अभिशाप बनकर उभर रहा है।

छतरपुरSep 01, 2025 / 10:40 am

Dharmendra Singh

suicide

आत्महत्या

मानसिक तनाव, धैर्य की कमी और नशे की लत सहित ऐसे कई कारण हैं जो आत्महत्या के लिए बड़ी वजह बन जाते हैं। आत्महत्या एक ऐसा विषय बन गया है जो समाज में एक अभिशाप बनकर उभर रहा है। किसी भी आयु वर्ग के लोग आज जरा सी परेशानी में बेचैन होकर ऐसे खौफनाक कदम उठाकर अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं। जिले मेे भी आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं बीते आठ माह में जिले में लगभग 106 लोगों ने आत्महत्या की हैं। वहीं पिछले वर्ष 66 लोगों की आत्महत्या अलग-अलग क्षेत्रों में दर्ज हुई थी। बढ़ते आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि जिले में भी अब असहनशीलता, मानसिक तनाव, प्रताडऩा आदि के मामले बढ़ गए हैं। वहीं करीब 20 ऐसे मामले हैं जिनमें छात्रों ने आत्महत्या की।

प्रतिवर्ष बढ़ रही संख्या

जिले में प्रतिवर्ष सुसाइड के मामलों की संख्या में बढोत्तरी परेशान करने वाली है। बुंदेलखंड की जिस धरा को वीरों की भूमि कहा जाता था। जहां शौर्य और गौरव की गाथा का उल्लेख पूरा देश करता है वहां का युवा आज आत्महत्या को चुन रहा है। क्राइम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में 38 लोगों की आत्महत्याएं दर्ज हुई थी तो वहीं 2023 में 53 लोगों ने सुसाइड किया। वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा बढ?र 165 हो गया।

सहनशीलता की कमी

कोतवाली थाना निरीक्षक अरविंद सिंह दांगी का कहना है उनके क्षेत्र में जो भी आत्महत्या के मामले आए हैं उनमें एक चीज कॉमन निकलकर आई है कि आत्महत्या को करने वाले लोगों में पैशेंस लेवल कम पाया गया है। कई ऐसे बच्चों ने भी सुसाइड किया जो परीक्षा में असफल हुए। इस धारणा को कम करने के लिए हमें बच्चों को सहनशील बनने की ओर अग्रसर करना होगा। सुसाइड मुश्किलों को खत्म करने का रास्ता नहीं, बल्कि परिवार को अशांत करने की धारणा है।

युवाओं में बढ़ रहे मामले

मनोचिकित्सक अनुप्रिया वर्मा का कहना है कि आत्महत्या के मामले युवा और महिलाओं में अधिकांश देखे जा रहे हैं। धैर्यता को खत्म करना सुसाइड का सबसे बड़ा कारण हैं। इसके लिए अभिभावक भी जिम्मेदार हैं। बच्चों को असफल बनाने का कौशल जब तक विकसित नहीं होगा। तब तक पैशेंस उनके अंदर नहीं आएगा। हमने बच्चों को नंबर लाने वाली मशीन समझ लिया है। उन्हें असफल होना सिखाया ही नहीं। जिस दिन वे असफल होते उनका धैर्य डगमगा जाता और वे आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।

केस-1

मार्च में सिटी कोतवाली में तैनात थाना प्रभारी अरविंद कुजूर ने अपने सरकारी निवास पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना ओरछा थाना क्षेत्र के पेप्टेक टाउन के मकान नंबर 11 में घटी।

केस-2

मार्च में ही छतरपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक 17 साल की छात्रा ने दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका सागर-कानपुर नेशनल हाईवे स्थित श्री राम कॉलोनी की रहने वाली थी और शहर के ओलंपिक स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती थी।


केस-3


जनवरी में छतरपुर में बीएससी माइक्रोबायोलॉजी की छात्रा दीक्षा गुप्ता ने चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। घटना सिंचाई कॉलोनी के जैन बिल्डिंग में हुई थी। छात्रा उत्तरप्रदेश के राठ की निवासी थी और पढ़ाई के लिए छतरपुर में अकेली रहती थी।


केस-4


मई माह में मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं और 12वीं परीक्षा का रिजल्ट जारी किया। इसके कुछ देर बाद छतरपुर में 17 वर्षीय छात्रा ने आत्महत्या कर ली। छात्रा का शव उसके कमरे में फांसी पर लटका मिला।

Hindi News / Chhatarpur / जिले में भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, 8 माह में 106 लोगों ने दी जान, इसमें 20 छात्र शामिल

ट्रेंडिंग वीडियो