इन सेक्टर्स में आई सबसे अधिक गिरावट
सोमवार को सबसे अधिक गिरावट रियल एस्टेट शेयरों में देखी जा रही है। निफ्टी रियल्टी 3.81 फीसदी की गिरावट के साथ ट्रेड करता दिखा। इसके अलावा निफ्टी मीडिया 2.58 फीसदी डाउन है। वहीं, निफ्टी मेटल में 1.30 फीसदी, निफ्टी पीएसयू बैंक में 1.03 फीसदी, निफ्टी प्राइवेट बैंक में 1.71 फीसदी, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 0.84 फीसदी, निफ्टी ऑयल एंड गैस में 0.21 फीसदी, निफ्टी मिडस्मॉल हेल्थकेयर में 0.43 फीसदी, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज एक्स-बैंक में 1.14 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। सिर्फ निफ्टी फार्मा में 0.48 फीसदी और निफ्टी हेल्थकेयर में 0.01 फीसदी की तेजी दिखाई दी।
रियल एस्टेट शेयरों में दिख रही बड़ी गिरावट
रियल्टी शेयरों में सोमवार को काफी गिरावट देखने को मिल रही है। लोधा, प्रेस्टीज और ओबेरॉय रियल्टी के पहले तिमाही के नतीजे ठीक नहीं आने के चलते आज रियल एस्टेट शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। डीएलएफ लिमिटेड 4.79 फीसदी गिरकर 786.75 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। गोदरेज प्रोपर्टीज का शेयर 4.74 फीसदी गिरकर 2128 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स का शेयर4.44 फीसदी गिरकर 1595.10 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। ओबेरॉय रियल्टी का शेयर 4.35 फीसदी गिरकर 1624 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। ब्रिगेड एंटरप्राइजेज का शेयर 3.57 फीसदी गिरकर 1019.90 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। सनटेक रियल्टी का शेयर 3.09 फीसदी या 109 रुपये की गिरावट के साथ 406.70 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। एंबेसी डेवलपमेंट्स का शेयर 2.77 फीसदी या 3.11 रुपये की गिरावट के साथ 109.30 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। वहीं, श्रीराम प्रोपर्टीज का शेयर 2.47 फीसदी की गिरावट के साथ 93.29 रुपये पर ट्रेड करता दिखाई दिया। क्यों आई बाजार में गिरावट?
- भारत-अमेरिका ट्रेड डील
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड टॉक का कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। अभी भी ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता है। इससे इन्वेस्टर्स का कॉन्फिडेंस डाउन है। जबकि 1 अगस्त की डेडलाइन पास आ गई है।
- FPI कर रहे भारी निकासी
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लगातार निकासी कर रहे हैं। 25 जुलाई तक एफपीआई कैश सेगमेंट में 30,509 रुपये कीमत के भारतीय शेयर बेच चुके हैं। पिछले 5 दिनों में एफपीआई 13,550 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं।
- कमजोर तिमाही आंकड़े
भारतीय कंपनियों के पहली तिमाही के आंकड़े उम्मीद से अधिक कमजोर रहे हैं। इससे शेयरों की बढ़ी हुई वैल्यूएशन को लेकर चिंता बढ़ गई है।