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महिला रेल यात्री ने 139 डायल कर बुलाया डॉक्टर…रेलवे ने भेजा टेक्नीशियन

रेल यात्री को सफर के दौरान पेट दर्द हुआ था तो कर दिया Indian Railways की 139 हेल्पलाइन पर कॉल।

भारतJul 10, 2025 / 12:28 pm

Ashish Deep

indian train

Indian Railways की 139 हेल्पलाइन पर कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। Patrika

अगर आप Train से सफर कर रहे हों और अचानक तबियत बिगड़ जाए तो क्या रेलवे की हेल्पलाइन 139 पर कॉल करना सही होगा? यूपी की वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. दिव्या के हालिया अनुभव जान लेंगे तो हैरान रह जाएंगे। बुलंदशहर जिला अस्पताल में नेत्र विभाग की प्रमुख डॉ. दिव्या 6 जुलाई को New Delhi-Patna Tejas Rajdhani Express से पटना जा रही थीं।

पेट दर्द में दे दी एंटीबॉयोटिक

डॉ. दिव्या को रास्ते में उन्हें गैस और पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्होंने रेलवे की हेल्पलाइन 139 पर कॉल करके मेडिकल मदद मांगी। कुछ देर बाद प्रयागराज मंडल के एक अफसर का कॉल आया और उन्हें बताया गया कि मेडिकल हेल्प के लिए फीस लगेगी। जब ट्रेन कानपुर सेंट्रल पहुंची तो कोई डॉक्टर नहीं बल्कि एक टेक्निशियन इलाज के लिए उनके पास आया। डॉ. दिव्या के मुताबिक, उस कर्मचारी ने उन्हें एंटीबायोटिक दे दी, जबकि समस्या स्पष्ट रूप से गैस से जुड़ी थी।

रेलवे ने भेजा डॉक्टर की जगह टेक्निशियन

डॉ. दिव्या ने जब खुद को वरिष्ठ चिकित्सक बताया और सवाल उठाए तो वह चुप रहा लेकिन 350 रुपये फीस और 32 रुपये दवा के ले गया। डॉ. दिव्या ने बताया कि उन्हें कंसल्टेशन फीस की कोई रसीद नहीं दी गई। दवा का बिल एक इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप से भेजा गया, लेकिन बार-बार कहने पर भी डॉक्टर विजिट की कोई रसीद नहीं मिली।

100 रुपये की नाम मात्र फीस तय की है रेलवे ने

रेलवे की तरफ से सफाई में एनसीआर (North Central Railway) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशि कांत त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने डॉक्टर विजिट के लिए कुछ मामलों में 100 रुपये की नाम मात्र फीस तय की है। 350 रुपये जैसी कोई फीस तय नहीं की गई है। इस मामले की जांच की जाएगी। डॉ. दिव्या ने रेलवे बोर्ड और एनसीआर अधिकारियों से ऑनलाइन शिकायत भी की है और मांग की है कि ट्रेनों में यात्रियों को उचित मेडिकल सुविधा मिले और इलाज के नाम पर इस तरह की वसूली बंद हो।

गंभीर सवाल खड़ी करती है यह घटना

जानकारों के मुताबिक डॉ. दिव्या के साथ हुई यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है :
1- क्या हेल्पलाइन 139 सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है?

2- क्या मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में यात्री भरोसे के लायक सिस्टम पर निर्भर रह सकते हैं?
3- और सबसे अहम, क्या रेलवे यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहा है?

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