आरोपी रीडऱ इतना बेखौफ था कि उपखंड अधिकारी के कोटा स्थानान्तरण होने के बाद भी वो परिवादी को साइन कराने का भरोसा दिलाता रहा। उसने परिवादी से कहा कि बिना पैसे लिए मैडम साइन नहीं करेगी। भले ही मैड़म का स्थानान्तरण कोटा हो गया हो आप तो राशि दो अभी में कोटा जाकर साइन करा लूंगा। जबकि उक्त भूमि प्रकरण के मामले की सुनवाई की तारीख उपखंड अधिकारी द्वारा 17 जुलाई को तय कर दी गई थी। बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया। जबकि उपखंड अधिकारी कार्यालय में ही पदस्थापित थी। अभी 22 तारीख को ही कोटा स्थानान्तरण हुआ। ऐसे में एसीबी अब यह जांच में जुटी है कि आखिर जब 17 जुलाई को फैसला सुनाना था तो उसको पेंडि़ंग क्यों रखा गया।आरोपी परिवादी को दो माह से परेशान कर रहा था।