बैंडिट क्वीन ( Bandit Queen)
1994 में आई यह फिल्म फूलन देवी के जीवन पर आधारित थी, जिसका निर्देशन शेखर कपूर ने किया था। फिल्म में यौन शोषण और हिंसा के कई ऐसे दृश्य थे, जिन्हें दर्शकों के लिए सही नहीं माना गया और इसलिए इसे बैन कर दिया गया।
उर्फ प्रोफेसर ( Urf Professor)
इस फिल्म में अत्यधिक बोल्ड सीन और अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया गया था। मनोज पाहवा, अंतरा माली और शर्मन जोशी जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म भी सेंसर बोर्ड की नजरों में खटक गई।
द पिंक मिरर ( The Pink Mirror)
ट्रांसजेंडर किरदारों पर बनी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘अश्लील और आपत्तिजनक’ बताकर बैन कर दिया। श्रीधर रंगायन की इस फिल्म में दो ट्रांसजेंडर महिलाओं और एक गे किशोर की कहानी है, जो एक पुरुष को रिझाने की कोशिश करते हैं।
पांच ( Paanch)
साल 2003 में अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी ‘पांच’ पर भी सेंसर बोर्ड की कैंची चली। कहा जाता है कि यह 1976-77 में पुणे में हुए जोशी-अभ्यंकर सीरियल मर्डर केस पर आधारित थी। नशे, हिंसा और गाली-गलौज की वजह से यह क्राइम थ्रिलर कभी रिलीज नहीं हो पाई।
ब्लैक फ्राइडे ( Black Friday)
2004 में आई ‘ब्लैक फ्राइडे’, जो 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी, कानूनी अड़चनों के कारण रिलीज से पहले ही रोक दी गई। अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित यह फिल्म हुसैन जैदी की किताब पर आधारित थी।
अनफ्रीडम ( Unfreedom)
इस थ्रिलर फिल्म का कंटेंट काफी बोल्ड था। इसमें एक लेस्बियन कपल और इस्लामी आतंकवाद से जुड़ी कहानी दिखाई जाती है। फिल्म में न्यूड सीन की वजह से इसे बैन कर दिया गया। ये फिल्में दिखाती हैं कि सेंसर बोर्ड कंटेंट को लेकर कितना सख्त है और किसी भी तरह के बोल्ड कंटेंट को यूजर तक पहुंचने से रोकने के लिए तैयार है।