CG News: उधार के डाटा से पढ़ाई कर रहे छात्र
यूनिवर्सिटी कैंपस में 2011 में नेशनल नॉलेज नेटवर्क योजना के तहत 1 जीबीपीएस की इंटरनेट लाइन बिछाई गई है। केबल, राउटर, कनेक्शन, मशीन और साल दर साल मेंटेनेंस, रिचार्ज के नाम पर तकरीबन 5 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। लेकिन आज भी यहां इंटरनेट कनेक्शन इतना धीमा है कि एक पीडीएफ डॉक्यूमेंट डाउनलोड करने में 15 से 20 मिनट लग रहे हैं। ऑनलाइन क्लास के वीडियो देखने के लिए यहां हॉस्टल और क्लासरूम में छात्र-छात्राओं को अपने मोबाइल डाटा या दोस्तों से हॉटस्पॉट लेकर काम चलाना पड़ रहा है। नई बिल्डिंगों में तो यह सुविधा अभी भी दूर है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन एमएचआरडी की इंटरनेट लाइन पुरानी होने की बात तो जानता है लेकिन सुधार नहीं कर रहा है।
अब 1 लाख रुपए हर माह दूसरी कंपनी को देने की तैयारी
सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रबंधन एमएचआरडी की पुरानी लाइन में बदलाव न कराकर अब एक नई कंपनी को टाटा और एयरटेल कंपनी के इंटरनेट कनेक्शन और वाई-फाई की सुविधा देने के लिए अनुमति दी है। लेकिन इस पर कोई सब्सिडी नहीं है। इसके बदले यूनिवर्सिटी प्रबंधन हर साल 11 लाख रुपए खर्च करेगी। यानी हर माह तकरीबन 1 लाख रुपए का रिचार्ज कराना होगा, पर पुराना कनेक्शन चालू रहेगा। यानी दोनों इंटरनेट लाइन मिलाकर हर माह डेढ़ लाख रुपए से अधिक रिचार्ज पर खर्च होंगे। इंटरनेट जीजीयू आईटी सेल इंचार्ज कैंपस आलोक कुशवाहा ने कहा की में जो नेशनल नॉलेज से सब्सिडी के तहत
इंटरनेट कनेक्शन बिछी है, वह पुरानी हो गई है। इसे अब बीएसएनएल में कन्वर्ट कराया गया है। आने वाले दिनों में छात्रों को 6 जी नेटवर्क का इंटरनेट मिलेगा।
इसके अलावा एक अन्य कंपनी को टाटा और एयरटेल कंपनी की इंटरनेट कनेक्शन का ठेका दिया गया है। प्रतिवर्ष हम 11 लाख भुगतान करेंगे। पुरानी कनेक्शन भी चालू रहेगी। उसका 5 लाख सालाना भुगतान हो रहा है। छात्रों को तीनों कनेक्शन से नेट व बेहतर वाई-फाई की सुविधा मिलेगी।