कॉलेज संचालकों का कहना है कि विद्यार्थियों में देर से परिणाम आने, काउंसलिंग की लंबी प्रक्रिया और दस्तावेजी औपचारिकताओं के चलते बड़ी संख्या में प्रवेश लंबित हैं। यदि अंतिम तिथि तक समय नहीं बढ़ाया गया तो इस वर्ष निजी कॉलेजों को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है और सीटें अधूरी रह जाएंगी। इसी वजह से निजी कॉलेज प्रबंधन ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से प्रवेश की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। उनका तर्क है कि यदि विद्यार्थियों को कुछ अतिरिक्त समय दिया जाए तो अधिकांश खाली सीटें भर सकती हैं।
बीए, बीकॉम और साइंस की सीटें सबसे ज्यादा रिक्त
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेजों में इस वर्ष बीए, बीकॉम और साइंस विषयों में सबसे अधिक सीटें खाली हैं। करीब 30 प्रतिशत सीटें रिक्त पड़ी हुई हैं। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि ज्यादातर कॉलेजों में यही तीनों विषय प्रभावित हुए हैं। ऐसे में प्रवेश तिथि बढ़ाने की मांग विश्वविद्यालय प्रशासन से की गई है।
निजी कॉलेज प्रबंधनों ने मांग की है कि उनके यहां अभी सीटें रिक्त हैं, ऐसे में प्रवेश की तारीख बढ़ाई जाए। इस संबंध में यूनिवर्सिटी विचार कर रही है। यदि जरूरत पड़ी तो समय बढ़ाया जाएगा। डॉ. तरूणधर दीवान, परीक्षा नियंत्रक, एबीवीयू।