तिफरा सब्जी मंडी से आम लोड कर तखतपुर जा रहे ड्राइवर अनिल मरकाम को सकरी ओवरब्रिज के पास एक स्कार्पियो ने ओवरटेक कर रोका। उसमें से एक पुलिस वर्दीधारी उतरा और खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए पिकअप में बैठ गया। उसने अनिल को सकरी की एक राइस मिल के कांटाघर तक चलने को कहा।
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तौल के बाद पुलिसकर्मी ने वाहन को ओवरलोड बताते हुए 25 हजार का चालान कटने की बात कही। अनिल ने अपनी मजबूरी जताते हुए 1 हजार देने की बात कही, लेकिन वह नहीं माना। वर्दीधारी ने धमकी दी कि 11 हजार से कम में चालान नहीं कटेगा और वाहन जब्त हो जाएगा। डर के कारण अनिल ने कैश न होने पर फोन पे से 11 हजार रु. मोबाइल नंबर 9109825667 पर ट्रांसफर कर दिए।
बाद में उसे पता चला कि वह रकम किसी महिला के खाते में गई है। जब ड्राइवर ने रसीद मांगा तो पुलिसकर्मी गायब हो गया। कॉल करने पर संबंधित नंबर बंद मिला। पीड़ित ने पत्रिका से संपर्क कर मदद मांगी। मामला सामने आने के बाद एसएसपी रजनेश सिंह ने जांच शुरू कर दी है। वर्दी की आड़ में हो रही ठगी पर सवाल उठ रहे हैं।
2 हजार रुपए महीना बांधने का भी आरोप
ड्राइवर अनिल ने बताया कि पुलिस कर्मी ने चालान के नाम पर उससे ऑनलाइन पैसे लेने के बाद कहा कि ‘आगे ऐसी कार्रवाई से बचना है तो जिस नंबर पर पेमेंट किए हो, उसी नंबर पर हर महीने 2 हजार डाल देना। फिर ओवर लोड वाहन ले जाओगे तो भी ऐसी कार्रवाई नहीं होगी।’
एसएसपी ने स्वयं संभाली जांच की कमान
इस मामले पर पत्रिका टीम ने जब ड्राइवर से वसूली की बात एसएसपी रजनेश सिंह के समक्ष रखी तो उन्होंने स्वयं जांच की कमान संभाल ली है। उनके निर्देशन में सकरी टीआई पतासाजी में जुट गए हैं। एसएसपी रजनेश सिंह ने कहा की आरटीओ का स्टाफ है पुलिस का नहीं है। मैंने ड्राइवर को आज बुलाया है।
फोन-पे से रकम महिला के खाते में, तब ड्राइवर ठिठका
नियमानुसार चालान की राशि सरकारी खाते में जानी चाहिए, पर उसने जो रुपए ऑनलाइन सेंड किए थे वो ‘पारुल भवानी ’ नाम की महिला के खाते में जमा हुई। इस पर अनिल को अहसास हुआ कि उससे जबरन अवैध वसूली हुई है। उसने पत्रिका टीम को अपनी आपबीती बताई। इस पर जब पारुल के मोबाइल नंबर पर लगातार कॉल किया गया तो नंबर स्विचऑफ बताया।