हाल ही में बिल्हा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला मंगला में एक छात्रा से छेड़छाड़ व अशोभनीय हरकत (बैड टच) के आरोप में निलंबित प्रधान पाठक रामकिशोर निर्मलकर को डीईओ ने मात्र दो माह में बहाल कर दिया है, जबकि बीईओ स्तर की जांच में उन्हें दोषी पाया था और विभागीय जांच जारी है।
CG News: कार्यप्रणाली पर सवाल
इससे पहले तखतपुर विकासखंड के एक अन्य शिक्षक, जो पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी था और लंबे समय तक फरार रहा, उसे भी डीईओ तिवारी द्वारा बिना किसी विस्तृत जांच पूरी होने के बहाल कर दिया गया था। अब लगातार दूसरी बार ऐसे गंभीर
आरोपों से घिरे शिक्षक की त्वरित बहाली से शिक्षा विभाग में लेन-देन जैसी गतिविधियों की आशंका जताई जा रही है। शिक्षा से जुड़े संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि डीईओ की यह कार्यप्रणाली न केवल पीड़ित छात्राओं के साथ अन्याय है, बल्कि इससे ऐसे अपराधों को बढ़ावा भी मिल सकता है।
टीआई ने रिपोर्ट लिखने से किया था मना
बीईओ बिल्हा सुनीता ध्रुव ने कहा की मंगला स्कूल में छेड़छाड़ की शिकायत और जांच में दोषी पाए जाने पर रामकिशोर निर्मलकर को निलंबित किया गया था। थाने में शिकायत करने गए थे, लेकिन टीआई ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने से पहले पीड़ित बच्ची व परिजनों की सहमति आवश्यक है। ऐसे में बिना सहमति के
एफआईआर दर्ज करने से टीआई ने मना कर दिया। उन पर वर्तमान में विभागीय जांच चल रही है। डीईओ ने बहाली का आदेश दिया, इसलिए हमने महमंद स्कूल में ज्वाइन करा दिया।
निलंबित लेकिन मामला दर्ज नहीं
बीईओ बिल्हा को मंगला स्कूल से शिकायत मिली थी, जिसमें बताया था कि प्रधानपाठक रामकिशोर निर्मलकर ने एक छात्रा के साथ अनुचित व्यवहार किया था, जिसकी पुष्टि बीईओ स्तर पर की गई जांच में भी हुई थी। इस मामले के बाद उन्हें 25 फरवरी 2025 को
निलंबित किया गया था। लेकिन मामला दर्ज नहीं कराई गई थी। वर्तमान में विभागीय जांच चल रही है। इसके बावजूद उन्हें बहाल करते हुए महमंद स्कूल में पुन: पदस्थ कर दिया गया।