सिस के अलावा निजी अस्पतालों के फिजियोथैरेपी विभाग में गर्दन दर्द के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। ज्यादातर मरीजों की शिकायत रहती है गर्दन सीधे रखने में दर्द होता है, ऐसा लग रहा गर्दन की हड्डी लंबी हो गई है।
CG News: पुलिस की गर्दन में पनप रही तकलीफ
दिन रात की ड्यूटी की वजह से पुलिसकर्मी शुगर और बीपी की बीमारी की चपेट में तो आते हैं। अब महकमा हाईटेक हो गया तो अधिकारियों के दतर और थानों में कंप्यूटर पर काम करने वाले
पुलिसकर्मियों में गर्दन की बीमारी शुरू हो गई है। नाम उजागर नहीं करने पर पुलिसकर्मियों ने बताया महकमे में हर काम अब ऑनलाइन हो गया है।
एफआइआर, रोजनामचा के अलावा फोर्स की लोकेशन तक मोबाइल और कप्यूटर के जरिए चल रही है। चौबीस घंटे की ड्यूटी होने की वजह से सलीके से इलाज के लिए वक्त नहीं मिलता तो दर्द होने पर पेन किलर से काम चलाते हैं।
युवा सबसे ज्यादा शिकार
अपोलो के चीफ फीजियोथैरेपिस्ट डॉ. विक्रम साहू कहते हैं कि मोबाइल व लैपटॉप से घंटों चिपकने का शौक युवाओं को जवानी में ही बूढ़ा कर रहा है। अस्पताल में इस मामले में 25 से 35 साल के मरीज ज्यादा रहते हैं। आमतौर पर स्पाइनल कॉड में बीमारी उम्र ढलने के बाद पनपती थी। अब
मोबाइल, लैपटॉप, टैब बच्चे से लेकर उम्रदराजों के हाथ में है। इन डिवाइस को लोगों से समय काटने का जरिया बना लिया है। इसलिए फुर्सत में आते ही इनसे चिपकते हैं तो गर्दन की बीमारी से जूझना पड़ता है।
लांग टाइम सिटिंग से नेक और बेक पैन
डॉ. विक्रम साहू ने बताया कि मोबाइल और लैपटॉप पर लांग टाइम सिटिंग से नेक और बेक पैन होना तय है। यह एक तरह से संक्रमण है। गलत पॉस्चर भी इसके लिए बड़ी वजह है। इसके लिए एक्सरसाइज, एक्टिविटी जरूरी है। नर्व का दब जाना, डिस्क कोलेप्स का लक्षण भी आ रहे हैं। स्कूलों में एक पीरियड 40-45 मिनट का इसीलिए होता है कि बच्चा मूव आउट कर सकें। बच्चों को गैजेट्स देने से उनका ब्रेन का विकास कम होता है। सभी उम्र के लोगों को कम से कम एक घंटे वर्कआउट ग्राउंड पर करें तो बहुत बेहतर है। फिजिकल एक्टिविटी से भी काफी बीमारियों से बचा जा सकता है।