scriptBilaspur High Court: मंदिर संपत्ति पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- पुजारी मालिक नहीं, सिर्फ प्रबंधक | Bilaspur High Court: Big decision of High Court: Priest is not owner of temple property | Patrika News
बिलासपुर

Bilaspur High Court: मंदिर संपत्ति पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- पुजारी मालिक नहीं, सिर्फ प्रबंधक

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने कहा, पुजारी केवल देवता की संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त एक ग्राही होता है। यदि वह सौंपा गया कार्य, यानी पूजा नहीं करता तो यह अधिकार वापस लिया जा सकता है।

बिलासपुरJul 08, 2025 / 09:56 am

Laxmi Vishwakarma

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला (Photo source- Patrika)

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला (Photo source- Patrika)

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया है कि मंदिर की संपत्ति का पुजारी स्वामी नहीं माना जा सकता। पुजारी केवल देवता की ओर से पूजा करने के लिए नियुक्त एक प्रबंधक होता है। जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की सिंगल बेंच ने इस संबन्ध में दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया।

Bilaspur High Court: रायपुर ने भी कर दी अस्वीकृत

धमतरी स्थित श्री विंध्यवासिनी मां बिलाईमाता पुजारी परिषद समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने 3 अक्टूबर 2015 को राजस्व मंडल, बिलासपुर द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। राजस्व मंडल ने शर्मा की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी।
विवाद की शुरुआत तहसीलदार के समक्ष किए गए एक आवेदन से हुई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने स्वयं का नाम ट्रस्ट रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की थी। तहसीलदार ने पक्ष में आदेश दिया, लेकिन एसडीओ ने उसे रद्द कर दिया। इसके विरुद्ध की गई अपील अपर आयुक्त, रायपुर ने भी अस्वीकृत कर दी। पुजारी की ओर से राजस्व मंडल के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, जिसे खारिज कर दिया गया। शेष ञ्चपेज ६

पक्षकार न होने से याचिका का भी अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा, पुजारी केवल देवता की संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त एक ग्राही होता है। यदि वह सौंपा गया कार्य, यानी पूजा नहीं करता तो यह अधिकार वापस लिया जा सकता है। अत: उसे भूमिस्वामी नहीं माना जा सकता।हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि वर्तमान याचिकाकर्ता राजस्व मंडल के उस आदेश का पक्षकार नहीं था जिसे चुनौती दी गई है, अत: उसे याचिका दायर करने का भी कोई अधिकार नहीं है।

प्रबंधक होने पर संपत्ति का अधिकार नहीं

Bilaspur High Court: कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट समिति 23 जनवरी 1974 से विधिवत रूप रूप से पंजीकृत संस्था है, और वही मंदिर की संपत्ति का प्रबंधन करती है। उन्होंने 21 सितंबर 1989 को सिविल जज वर्ग-2, धमतरी द्वारा पारित एक निर्णय का उल्लेख किया जो अंतिम रूप से प्रभावी हो चुका है। सिविल न्यायालय ने कहा था कि ट्रस्टी बहुमत से एक प्रबंधक नियुक्त कर सकते हैं। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि मंदिर की संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की या पुजारियों के पूर्वजों की है।

Hindi News / Bilaspur / Bilaspur High Court: मंदिर संपत्ति पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- पुजारी मालिक नहीं, सिर्फ प्रबंधक

ट्रेंडिंग वीडियो