गौरतलब है कि आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स समेत राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भारी कमी है। इससे न सिर्फ मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है।
आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स सहित राज्य के ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों में एनाटोमी, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री जैसे बेसिक संकाय में कई पद रिक्त हैं। कुछ जगह तो संविदा शिक्षक के भरोसे ही पढ़ाई हो रही है। कई जगह स्थिति ऐसी है कि छात्रों को यूट्यूब, गूगल के भरोसे पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे में नियमित सहायक प्राध्यापकों की भर्ती होना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिहाज से नई उम्मीद लेकर आया है। संभावना है कि इस साल इसके लिए सीजी पीएससी से वैकेंसी निकलेगी। गौरतलब है कि राज्य में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं।
पत्रिका ने इस समस्या को लेकर प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
सिम्स में फैकल्टी की कमी को लेकर पत्रिका ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। बताया गया था कि किन-किन विभागों में कितने पद खाली हैं, जिसकी वजह से इलाज के साथ ही छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। खबर का असर ही था कि इसे लेकर डीएमई डॉ. यूस पैकरा ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के समक्ष इस बात को प्रमुखता से रखा और आखिरकार सीजी पीएससी को न सिफ सिम्स, बल्कि राज्य के अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीएससी के थ्रू भर्ती होने वाले पदों के लिए प्रस्ताव भेजा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को पत्र प्रेषित कर १२५ असिस्टेंट प्रोफेसर पद की पूर्ति के लिए प्रस्ताव बना कर भेजा गया है। उम्मीद है कि इस वर्ष इन पदों पर भर्ती हो जाएगी। इससे सिम्स समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्था में सुधार आएगा। – डॉ. यूएस पैकरा, डीएमई