इस हादसे के बाद तीनों परिवारों में मातम छा गया। घटना मंगलवार शाम की है। बता दें करण और लक्की दसवीं कक्षा के छात्र थे, दोनों स्कूल से मार्कशीट लेने के लिए घर आए थे। दोनों पड़ोसी थे और एक ही स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल में दसवीं बोर्ड के फॉर्म भरने के लिए मार्कशीट की जरूरत थी, जिसके लिए उन्हें घर भेजा गया था।
घर पहुंचने के बाद दोनों ने बैग रखा और बिना किसी को बताए अपने दोस्त राम व्यास के साथ भैरूजी मंदिर दर्शन के लिए निकल गए। राम व्यास दूध बेचने का काम करता था और तीनों एक ही मोहल्ले के रहने वाले थे।
गहराई का अनुमान न होने के कारण डूबे
गजनेर थानाधिकारी चंद्रजीत सिंह भाटी ने बताया कि तीनों दोस्त एक बाइक पर सवार होकर कोडमदेसर स्थित भैरूजी मंदिर गए थे। दर्शन के बाद लौटते समय वे इंदिरा गांधी नहर के पास रुक गए और नहाने का फैसला किया। उन्होंने अपने जूते, मोबाइल और कपड़े नहर के किनारे रखे और पानी में उतर गए। नहर की गहराई का अनुमान न होने के कारण तीनों डूब गए। कुछ देर बाद राहगीरों की नजर किनारे खड़ी बाइक, जूतों और मोबाइल पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने नहर में डूबने की आशंका जताते हुए पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और तलाशी अभियान शुरू किया।
पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे
रात करीब 11 बजे दो शव बरामद कर लिए गए, लेकिन तीसरे दोस्त का शव नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने तैराकों की मदद ली और रात 1 बजे तीसरा शव भी बरामद हुआ। तीनों शवों को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखा गया, जहां बुधवार सुबह पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। पड़ोसी जसवीर राव ने बताया कि करण और लक्की स्कूल से मार्कशीट लाने के लिए घर आए थे। दोनों ने घर पर बैग रखा और बिना किसी को बताए राम के साथ बाइक पर निकल गए। शाम करीब 6 बजे जब उनके कपड़े, मोबाइल और बाइक नहर के किनारे दिखे, तो परिजनों को हादसे की जानकारी मिली। परिजनों ने बताया कि तीनों दोस्त आपस में बहुत घनिष्ठ थे और अक्सर साथ में समय बिताते थे।