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भोपाल

CM mohan yadav ने लॉन्च की दुनिया की पहली वैदिक घड़ी, समय, पंचांग और मौसम भी बताएगी

World First Vedik Clock Launched: सीएम मोहन यादव ने लॉन्च की दुनिया की पहली वैदिक घड़ी, सूरज चांद और नक्षत्रों की चाल पर आधारित इस घड़ी के समयमान और जीएमटी (GMT) समय में क्या है अंतर, पढ़ें रोचक फैक्ट्स

भोपालSep 03, 2025 / 09:55 pm

Sanjana Kumar

World First Vedic clock Launched in Bhopal MP

World First Vedic clock Launched in Bhopal MP: सीएम हाउस के बाहर लगी विक्रमादित्य वैदिक घड़ी, सीएम मोहन यादव की भारत को सौगात।(photo: social media)

World First Vedic Clock Launched: आज सोमवार 1 सितंबर 2025 से भारत का अपना समय शुरू हो गया है… कहने का अर्थ ये है कि अब भारत का अपना एक स्टैंडर्ड टाइम जोन शुरू हो गया है, इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से हो गई है। दरअसल यहां सीएम मोहन यादव ने दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का शुभारंभ कर दिया। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के नाम से शुरू की गई इस घड़ी का समय सूरज के साथ-साथ चल रहा है। इसके साथ ही सीएम ने इसका एप भी लॉन्च किया है।

भारत के हर शहर का अपना-अपना वैदिक समय भी जान सकेंगे

इसे बनाने वाले आरोह श्रीवास्तव के मुताबिक यह केवल घड़ी नहीं बल्कि, भारत की प्राचीन समय गणना पद्धति का पुनर्स्थापन है। अब हर शहर का अपना अलग-अलग वैदिक समय होगा जिसकी सटीक गणना इस घड़ी से संभव होगी। ये तीन साल के शोध के बाद बनाई जा सकी है। तीन लोगों की टीम ने इसे बनाया है।

वैदिक घड़ी की रिसर्च टीम

दुनिया की पहली वैदिक घड़ी को बनाने में आरोह की रिसर्च टीम में आईआईटी दिल्ली के विशाल सिंह और रोबोटिक्स इंजीनियर आरुणि श्रीवास्तव शामिल थीं।

मध्यप्रदेश के लिए वैदिक घड़ी क्यों हो चली है विशेष

सदियों से उज्जैन कालगणना का वैश्विक केंद्र रहा है। कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। इसे भारतीय समय की धूरी यानी प्राइम मेरिडियन ऑफ इंडिया माना गया है। उज्जैन को ही भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान का प्राचीन विश्वविद्यालय कहा जाता है।

ग्रीनविच मीन टाइम और विक्रमादित्य वैदिक घड़ी दोनों में क्या है अंतर

ग्रीनविच मीन टाइम:

1–ग्रीनविच मीन टाइम की उत्पत्ति इंग्लैंड के ग्रीनविच वैधशाला से 19वीं सदी में तय किया गया

2– इसका आधार सूर्य के औसत समय (Mean Solar Time) पर आधारित है।
3– इसका उद्देश्य पूरी दुनिया के लिए एक मानक समय तय करना था ताकि समुद्री यात्राएं, संचार और बाद में रेल/विमान व्यवस्था सरल हो सके।

4–इसकी प्रकृति पूरी तरह से वैज्ञानिक और औपचारिक समय माप है।
5– इसकी इकाई- सैकंड, मिनट और फिर घंटे (24 घंटे का एक दिन है)

6– आधुनिक घड़ियों के अनुसार अगला दिन रात के समय बजने वाले 12 बजे के साथ शुरू होता है।
7– वर्तमान स्थिति की बात करें, तो GMT को अब ज्यादातर जगह UTC (Coordinated Universal Time) से रीप्लेस कर दिया गया है। लेकिन सामान्य भाषा में इसे GMT ही कहा जाता है।

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की खासियत

1– ये भारतीय परंपरा, खासकर पंचांग और सूर्य सिद्धांत पर आधारित एक भारतीय वैदिक पद्धति पर आधारित घड़ी है।
2– इसका आधार खगोलीय यानी, सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की गति है।

3– समय की इकाई- एक दिन= 60 घटी(घटिका), एक घटिका =24 मिनट, एक दिन= 30 मुहूर्त, 1 मुहूर्त= 48 मिनट, यही नहीं इसकी इससे भी छोटी इकाई के रूप में जैसे नाड़ी, विपला, त्रुटि आदि भी होती थीं।
4– इसकी विशेषता ये है कि इसका नया दिन हमेशा सूर्योदय के साथ ही शुरू होता है। यानी वैदिक घड़ी में दिन का पहला घंटा सूर्य के साथ शुरू होता है न कि आधी रात को।
5– इसका उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठान, कृषि, यात्रा और जीनव शैली को प्रकृति और खगोलीय चक्र के साथ जोड़ना है।

यानी GMT पूरी दुनिया को जोड़ने वाला वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय समय मान है। जबकि वैदिक घड़ी भारतीय परंपरा की प्राकृतिक और खगोलीय घड़ी है, जो सीधे सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की चाल से जुड़ी है।

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