रायसेन जिले के रातापानी टाइगर रिजर्व में बहुतायत में वन्य प्राणी हैं। इस टाइगर रिजर्व से होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 12 जयपुर-जबलपुर एवं इंदौर-खडंवा मार्ग गुजरते हैं। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए यहां से गुजरते औबेदुल्लागंज-बैतूल नेशनल हाईवे पर विशेष पहल की गई है। यहां 12.38 किलोमीटर लंबा विशेष साउंडप्रूफ कॉरिडोर बनाया गया है। अधिकारियों के अनुसार इसका काम अब पूरा हो गया है।
417 करोड़ रुपए की इस परियोजना में वन्यजीवों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए तीन फ्लाईओवर का निर्माण भी किया गया है। कॉरिडोर में विशेष हरे रंग की पॉलीकार्बोनेट शीट लगाई गई है, जो वाहनों की आवाज को अवशोषित कर लेती है। वाहनों की तेज आवाज को कम करने के लिए कॉरिडोर में नॉइस बैरियर लगाए गए हैं। इसके लिए इंसुलेशन मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है।
रातापानी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों से गुजरे हाइवे के 12 किमी के इस कॉरिडोर में वन्य जीवों के लिए 7 अंडरपास बनाए गए हैं। कॉरिडोर में 5 बड़े और 2 छोटे अंडरपास बनाए गए हैं। कॉरिडोर के ऊपर से जहां वाहनों का आवागमन हो रहा है वहीं टाइगर सहित सभी वन्य प्राणी अंडरपास से इधर से उधर जा रहे हैं।
हाईवे के दोनों तरफ 3-3 मीटर ऊंची बाउंड्री वॉल बनाई
इतना ही नहीं, हाईवे के दोनों तरफ 3-3 मीटर ऊंची बाउंड्री वॉल बनाई गई हैं। घने जंगल और ऊंची बाउंड्री वॉल होने से सड़क पूरी तरह सुरक्षित हो गई है। इससे न केवल रातापानी के जंगलों में रहनेवाले वन्य जीवों को काफी राहत मिली है बल्कि वाहन चलाने में भी किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आ रही। हाईवे के इस कॉरिडोर पर वाहन सरपट दौड़ रहे हैं।
हाईवे की सड़क 18 मीटर चौड़ी
एनएचएआई NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर देवांश नवल के मुताबिक इस कॉरिडोर में हाईवे की सड़क 18 मीटर चौड़ी रखी गई है। पुराने मार्ग के जगह-जगह के टर्निंग पॉइंट भी खत्म कर सीधा हाईवे बनाया गया है। सड़क की चौड़ाई ज्यादा करने और टर्निंग पॉइंट समाप्त हो जाने से कॉरिडोर से आधे घंटे का सफर अब महज 10 मिनट में पूरा हो रहा है।