बताया जा रहा है कि, हिज्ब-उत-तहरीर संगठन देश में सरकार को हटाकर इस्लामिक स्टेट स्थापना की साजिश रच रहा था। ये कमजोर वर्ग के मुस्लिम युवाओं का ब्रैनवॉश का काम कर रहे थे। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की साजिश रची जा रही थी।
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जांच एजेंसी द्वारा जारी बयान के अनुसार, तलाशी एनआईए द्वारा दर्ज किए गए एक मामले का हिस्सा थी, जो भारत में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे विभिन्न आतंकवादी और कट्टरपंथी नेटवर्क और संगठनों को नष्ट करने के प्रयासों का हिस्सा था। ये कमजोर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की एचयूटी की साजिश से संबंधित है।
फॉरेंसिक लेब जाएगी डिजिटल डिवाइस
इसमें कहा गया है कि, युवाओं को भारत की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने और शरिया कानून द्वारा शासित एक इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए हिंसा फैलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा था।’ बयान में ये भी कहा गया कि, एनआईए की टीमों ने तलाशी के दौरान डिजिटल डिवाइस जब्त की, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजने की दस्सावेजी कार्रवाई की जा रही है। यह भी पढ़ें-
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ये कोई पहली बार नहीं, बल्कि पहले भी कट्टरपंथी संगठनों द्वारा यहां छापामारी कर कई गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। ये लोग भोपाल में युवाओं का ब्रैनवॉश करते हुए पकड़े गए थे। पहले हुई गिरफ्तारियों में आतंकियों के तार बांग्लादेश से जुड़े हुए मिले थे।
हिज्ब-उत-तहरीर के बारे में जानें
हिज्ब-उत-तहरीर एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी। इसका मकसद वैश्विक इस्लामी खलीफा (इस्लामिक स्टेट) की स्थापना करना है, जो उनके विचार में मुस्लिम दुनिया पर शरिया कानून लागू करेगा। संगठन का मुख्यालय मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है। यह भी पढ़ें- राजा रघुवंशी हत्याकांड पर बोले बाबा बागेश्वर, ‘हमारे जैसे अविवाहित पुरुष डरने लगे हैं..’ भारत में संगठन की गतिविधियां
भारत में हाल के वर्षों में हिज्ब-उत-तहरीर की गतिविधियों को लेकर चिंता जताई गई है। मोदी सरकार ने इस संगठन को एक ‘खतरा’ मानते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित किया है। सरकारी अधिकारियों की मानें तो हिज्ब-उत-तहरीर भारत में इस्लामिक स्टेट की स्थापना की दिशा में काम कर रहा है और यहां के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने में जुटा है।
प्रतिबंधित संगठन की विचारधारा
इस संगठन की विचारधारा इस्लामिक कट्टरता पर आधारित है। ये लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को स्वीकार नहीं करता और एक एकीकृत इस्लामिक राज्य की स्थापना पर जोर देता है। संगठन का दावा है कि वह गैर-हिंसात्मक तरीके से काम करता है, लेकिन इसके समर्थक कई बार सरकार विरोधी और अशांत गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।