करीब तीन किमी लंबाई की लेन में सामान्य एलिवेटेड लेन के पियर्स बना दिए गए हैं, जबकि अतिरिक्त भार को देखते हुए पियर बनाने हैं। मामले में शासन स्तर पर शिकायत पहुंची तो विभाग में उच्चस्तर पर पीडब्ल्यूडी अफसरों से जवाब मांगा है। गौरतलब है कि पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर अभी ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज की 90 डिग्री वाले डिजाइन (90 degree bridge controversy) में ही उलझे हुए हैं। (mp news)
ऐसे समझें स्थिति
स्ट्रक्चरल इंजीनियर अब्दुल मजीद का कहना है कि सामान्य एलिवेटेड पियर्स एक सीधी संरचना होती है जो किसी एलिवेटेड रोड को आधार देती हैं, जबकि थ्री टियर पियर सिस्टम में भार को विभिन्न स्तरों पर वितरित किया जाता है, या पियर को तीन स्तरों में तैयार किया जाता है। ये बहु-स्तरीय फ्लाईओवर होता है जहां एक ही स्थान पर कई सड़कें विभिन्न ऊंचाइयों पर गुजरती हैं। एलिवेटेड लेन को संतनगर क्षेत्र में भारी यातायात और जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए इसे बनाया जा रहा है। सीहोर और इंदौर से आने वाले वाहनों को सीधे एलिवेटेड लेन से बिना किसी ट्रैफिक में उलझे निकलने की सुविधा दी जानी है।
अब ये होगी दिक्कत
अभी सामान्य एलिवेटेड लेन के ही पियर्स बनाए गए हैं। अभी यहां मेट्रो का काम होने में समय है। संतनगर की मेट्रो लाइन पर काम होने में अभी समय है। ये दूसरे चरण में हो सकता है जिसपर संभवत: 2028 के बाद काम शुरू हो। जब काम शुरू होगा तो एलिवेटेड के पियर्स पर मेट्रो की पटरी कैसे डाले जाएंगे? ये सवाल उठेगा
डिजाइन को लेकर पूछताछ की जा रही है। थ्री टियर अभी काम चल रहा है। अब किसी भी ब्रिज या एलिवेटेड लेन के पूरा होने के बाद कोई दिक्कत या सवाल उठे उससे पहले विभाग अपने स्तर पर इसे ठीक करने की कार्रवाई करेगा।- केपीएस राणा, इएनसी, पीडब्ल्यूडी
लाऊखेड़ी सीहोर नाका एलिवेटेड लेन एक नजर
- 03 किमी लंबाई
- 09 मीटर ऊंचाई
- 06 लेन डबल डेकर
- 306 करोड़ रुपए का बजट
- 33 माह में पूरा करना है काम