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भोपाल

मोहन भागवत का 75 पार वाला बयान, इस फॉर्मूले से तो इन नेताओं की होगी छुट्टी…

MP Politics: संघ प्रमुख मोहन भागवत के 75 वर्ष वाले बयान के बाद से मध्यप्रदेश की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।

भोपालJul 15, 2025 / 06:39 pm

Himanshu Singh

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फोटो- पत्रिका

MP Politics: ’75 साल की उम्र का अर्थ मैं जानता हूं। 75 साल की शॉल जब ओढ़ी जाती है, तब उसका अर्थ यह होता है कि अब आप की आयु हो गई, अब जरा बाजू हो जाओ, हमें करने दो’।

ये शब्द किसी और के नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के हैं। हाल ही में दिल्ली में दिए इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, 75 वर्ष पार वाला फॉर्मूला मध्यप्रदेश के लिए कोई नया नहीं हैं। इस क्राइटेरिया के हिसाब से पिछले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में कई नेताओं के टिकट काटे गए थे, तो कई नेताओं को किनारे कर दिया गया था।


patrika.com ने भाजपा के नेताओं की पड़ताल की तो पता चला कि यह लिस्ट बढ़ती जा रही है। कई विधायकों से बात की तो वे बगले झांकने लगे या सवाल से बचते नजर आए।



75 पार वाली लिस्ट में ये विधायक शामिल


मध्यप्रदेश में 75 वर्ष पार करने वाले नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है। इसमें पन्नालाल शाक्य, मधु वर्मा, गोपाल भार्गव, जगन्नाथ सिंह रघुवंशी, जयंत मलैया, नागेंद्र सिंह, बिसाहूलाल सिंह, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह गुढ़, सीतासरन शर्मा, प्रेमशंकर वर्मा, विश्वनाथ सिंह, मधु वर्मा, हजारीलाल दांगी में शामिल हैं। इनमें ऐसे विधायक भी हैं जिनकी उम्र 75 पार हो गई है, तो कुछ विधायकों का कार्यकाल पूरा होते-होते वे भी 75 पार हो जाएंगे। जबकि कुछ भाजपा के कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो 80 साल के हो गए हैं, लेकिन अब भी डंटे हुए हैं।
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राजनीतिक गलियारों में अब इस बात की चर्चा है कि यदि मोहन भागवत के 75 साल वाले बयान के बाद यह फॉर्मूला लागू हो जाता है तो इनमें से 14 नेताओं को राजनीति से रिटायरमेंट लेना पड़ेगा।
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पिछले ही विधानसभा चुनाव 2023 में 17 उम्रदराज नेताओं को टिकट दिया था। हालांकि, साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव नागेंद्र सिंह और जयंत मलैया चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके थे, लेकिन नागौद में जातीय समीकरण साधने के लिए अमित शाह ने नागेंद्र सिंह को टिकट देकर चुनाव लड़वाया और वह जीत गए। इधर, जयंत मलैया अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया के लिए टिकट की लॉबिंग कर रहे थे। मगर, टिकट दिलाने में असफल रहे और खुद ही चुनाव लड़कर जीत हासिल की।
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इन नेताओं को भी किया था साइडलाइन


2016 के चुनाव के वक्त भी 75 पार का फार्मूला अपनाया गया था। हालांकि भाजपा कहती रही है कि उसने ऐसा कोई फार्मूला नहीं बनाया है, तब शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्री सरताज सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर को साइडलाइन कर दिया गया था। इसके बाद साल 2018 के चुनाव में सरताज सिंह तब 78 वर्ष के हो चुके थे। उन्हें होशंगाबाद सीट से टिकट नहीं दिया गया, तो वे बागी हो गए और कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतर गए, लेकिन भाजपा के सीतासरन शर्मा ने उन्हें हरा दिया। ऐसे ही 88 वर्षीय बाबूलाल गौर को गोविंदपुरा सीट से टिकट देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने अपनी बहू कृष्णा गौर के टिकट के लिए लॉबिंग की थी, जो काफी दिनों तक सुर्खियां बनी थीं। अंततः पार्टी ने कृष्णा गौर को टिकट दी और उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। इसी तरह पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले, मोती कश्यप, रमाकांत तिवारी, चेतराम मानेकर, रणजीत सिंह गुणवान, पन्नालाल शाक्य, कैलाश चावला, मेहरबान सिंह रावत, माया सिंह, गौरीशंकर शेजवार और मथुरा लाल डाबर के टिकट काट दिए थे।



पत्रिका के सवाल से बचते नजर आए विधायक


पत्रिका.कॉम ने जब मध्यप्रदेश में भाजपा के 75 वर्ष की आयु पार करने वाले कई विधायकों से बात की तो वे इस सवार से किनारा करते नजर आए। इन विधायकों में से कई लोगों ने सवाल का जवाब टालने की कोशिश की।


78 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री एवं जयंत मलैया से जब सवाल पूछा कि मोहन भागवत ने 75 वर्ष में रिटायरमेंट का जिक्र किया है इस पर आपका क्या कहना है तो जयंत मलैया किनारा करते नजर आए। बोले- मैं अभी काम में व्यस्त हूं।

75 वर्षीय गुना विधायक पन्ना लाल शाक्य से जब पत्रिका ने पूछा तो वे गोलमोल जवाब देने लगे। उन्होंने कहा कि मैं 28 जुलाई को विधानसभा में आऊंगा, 27 तारीख को अपना विचार बता दूंगा।
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73 वर्षीय राऊ से भाजपा के विधायक मधुकर वर्मा भी इंदौर के पुराने नेता हैं। मधुकर वर्मा के सहयोगी ने यह सवाल सुनकर साहब को ही फोन नहीं दिया। वे खुद ही टालने लगे कि इसमें विधायक जी क्या जवाब देंगे।
इधर, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बुंदेलखंड में एक कहावत है कि बुजुर्गों को साथ ले गए तो काम अच्छे से हो जाता है। क्या माता-पिता को कचरे में डाल दोगे। हम भी बुजुर्ग हैं, तो क्या हमें भी उठाकर फेंक दोगे।

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