जीतू पटवारी ने भाजपा पर साधा निशाना
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को सामाजिक समानता का आधार बनाकर इसे न केवल राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बनाया, बल्कि भाजपा की वंचित-विरोधी नीतियों की पोल खोल दी। 2023 से 2024 तक, उन्होंने संसद में, रैलियों में, प्रेस कॉन्फ्रेंस में, और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को आंधी की तरह उठाया। तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण को एक पारदर्शी और समावेशी मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने 50% आरक्षण सीमा को हटाने की मांग उठाकर भाजपा की दलित, बिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता को ललकारा है। यह राहुल गांधी का अडिग संकल्प और मध्यप्रदेश कांग्रेस का साथ था, जिसने भाजपा को इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मजबूर किया। हम मध्यप्रदेश की जनता की ओर से राहुल गांधी को इस शानदार जीत के लिए सलाम करते हैं।”
आगे पटवारी ने कहा कि जातिगत जनगणना की यह जीत राहूल गांधी की उस सतत लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने बार-बार भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को न केवल उजागर किया, बल्कि उन्हें वापस लेने के लिए बाध्य किया। उन्होंने कुछ प्रमुख उदाहरणों के साथ भाजपा की नाकामियों को उजागर किया।
कृषि कानूनों की वापसी (2021): राहुल गांधी ने कॉरपोरेट-हितैषी तीन कृषि कानूनों को किसान-विरोधी बताकर उनकी जड़ें हिला दीं। उनकी रैलियों और किसानों के साथ एकजुटता ने भाजपा को घेरा, और अंततः 2021 में सरकार को ये काले कानून वापस लेने पड़े। यह राहुल गांधी की किसान-हितैषी राजनीति की जीत थी।
अग्निवीर योजना में सुधार (2024): राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए 3 जुलाई 2024 को लोकसभा में इसका तीखा विरोध किया। शहीद अग्निवीरों के परिवारों के लिए मुआवजा और पेंशन की उनकी मांग ने भाजपा को हिलाकर रख दिया। अगले ही दिन, 4 जुलाई 2024 को सरकार ने मुआवजा शुरू किया और सुधारों की घोषणा की। यह राहुल गांधी की युवा-शक्ति की जीत थी।
ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल की वापसी (2024): राहुल गांधी ने अगस्त 2024 में प्रस्तावित इस बिल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताकर इसका पुरजोर विरोध किया। उनके नेतृत्व में हुए आंदोलन ने भाजपा को इतना दबाव में ला दिया कि सरकार को बिल वापस लेना पड़ा। यह लोकतंत्र की जीत थी।
लेटरल एंट्री भर्ती रद्द (2024): राहुल गांधी ने सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री को SC, ST, और OBC समुदायों के आरक्षण पर हमला बताकर भाजपा की साजिश को बेनकाब किया। उनके आक्रामक रुख के कारण अगस्त 2024 में सरकार ने 45 भर्तियों को रद्द किया। यह सामाजिक न्याय की जीत थी!
रेलवे कुलियों की मांगें (2025): फरवरी 2025 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद राहुल गांधी ने रेलवे कुलियों की बदहाली को उठाया। मार्च 2025 में उनकी मुलाकात और संसद में उनकी मांगों ने भाजपा को सुधारों के लिए सोचने पर मजबूर किया। यह समाज के सबसे निचले तबके की जीत थी!
GST दरों में कमी (2024): राहुल गांधी ने छोटे व्यवसायों और आम जनता पर GST के बोझ को लेकर भाजपा की आलोचना की। उनके दबाव में 2024 में सरकार ने कुछ वस्तुओं पर GST दरें कम की और MSME के लिए राहत दी। यह मध्यम वर्ग की जीत थी।
नोटबंदी और कोविड-19 की भविष्यवाणीः राहुल गांधी ने 2016 में नोटबंदी को अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी बताया, जो RBI की रिपोर्ट से सही साबित हुआ। कोविड-19 लॉकडाउन के आर्थिक प्रभावों की उनकी चेतावनी भी 2020-21 की GDP गिरावट के साथ सत्यापित हुई। यह उनकी आर्थिक दूरदर्शिता की जीत थी।