कार्य विभाजन से संबंधित फैसले का विरोध जताते हुए प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपने नियमित राजस्व संबंधी कामकाज नहीं कर रहे हैं। इससे आमजन को खासी दिक्कत हो रही है। तहसीलदार और नायब तहसीलदार प्रदेश के राजस्व विभाग के जमीनी अधिकारी माने जाते हैं। इनके द्वारा सामान्य कामकाज नहीं करने से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इससे आमजनों के जमीन संबंधी सभी काम अटक गए हैं। नामांतरण, बंटवारे आदि के मामले बड़ी संख्या में पेंडिंग पड़े हैं।
बताया जा रहा है कि भोपाल जिले में ही 2 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। प्रदेशभर में 90 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग हो चुके हैं। राजस्व मामलों की बढ़ती पेंडेंसी और आम जनों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने सख्त तेवर अख्तियार कर लिए हैं।
ऐसे तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की संख्या 1100 से ज्यादा
अवर सचिव संजय कुमार प्रदेश के सभी कमिश्नरों को कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं। इसके लिए सिविल सेवा नियमों का हवाला भी दिया। वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि सोमवार से इन सभी अधिकारियों को नोटिस देने की कार्रवाई की जाएगी। प्रदेशभर के ऐसे तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की संख्या 1100 से ज्यादा है जोकि अभी तक सामान्य कामकाज पर नहीं लौटे हैं।
दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और अनुशासनहीनता
बता दें कि इंदौर में कलेक्टर आशीष सिंह ने सामान्य काम नहीं कर रहे जिले के 42 तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का 1 दिन का वेतन काटने का आदेश पहले ही जारी कर दिया है। उन्होंने इसे अधिकारियों द्वारा अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और अनुशासनहीनता माना है।