भारत की खाद्य संप्रभुता को खतरा
उन्होंने बताया कि अमरीका की भारी सब्सिडी वाले उत्पादों के आने से घरेलू कृषि उत्पादों की कीमतें गिरेंगी। भारी सब्सिडी, कानूनी दबाव और शिकारी व्यापार नीतियों से लैस अमरीका निर्यात जैसे दूध, गेहूं, कपास, फल, मेवे, दालें, चिकन और रबर करोड़ों भारतीय किसानों की आजीविका को खत्म कर देंगे। ग्रामीण परिवारों को कर्ज में धकेल देंगे। भारत की खाद्य संप्रभुता को खतरे में डाल देंगे। अमरीका के डेयरी उत्पाद जैसे चीज से धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं भी प्रभावित होंगी। अमरीका के चीज में अक्सर बछड़े की आंतों से निकले रैनेट का उपयोग किया जाता है।प्रभावशाली लोगों की मूंग खरीदी
कक्काजी ने बताया कि सरकार ने मूंग खरीदी शुरू की है, लेकिन अभी प्रभावशाली लोगों की मूंग ही खरीदी जा रही है। मध्यप्रदेश नकली खाद-बीज व कीटनाशक का हब बन गया है। किसानों को किसी भी जिले में डीएपी खाद की एक बोरी तक नहीं मिली। कलेक्टर इतने बेलगाम हो गए हैं कि सरकार के फैसले के बावजूद जिलों में गो अभयारण्य के लिए जमीन नहीं दे रहे। भूमि अधिग्रहण के जरिए सरकार किसानों की जमीन हड़पने का काम कर रही है। सीमांकन, बंटान, नामांतरण और बंटवारा में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है।जानें क्या है भारत सरकार अमरीका से मुक्त व्यापार समझौता (India-US FTA)
भारत सरकार का अमरीका के साथ मुक्त व्यापार समझौता एक ऐसा प्रस्तावित समझौता है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे के साथ व्यापार को और आसान बनाने कि दिशा पर विचार कर रहे हैं। इस समझौते का उद्देश्य आयात-निर्यात पर लगने वाले शुल्क (TAX) को कम किए जाए या हटाए जाए है, ताकि दोनों देशों की कंपनियों को व्यापार में सुविधा हो सके।जानें दोनों देश क्या चाहते हैं?
1. कृषि उत्पादों पर टैक्स में राहतअमरिका चाहता है कि भारत दालें, गेहूं, चना, सोया, और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें (GM Crops) जैसे कृषि उत्पादों पर लगने वाले भारी टैक्स को कम करें या हटा दें।
अमरिका चाहता है कि उसकी डेयरी कंपनियां भी भारत में आसानी से उत्पाद बेच सकें, लेकिन भारत इसे किसानों के लिए नुकसानदायक मान रहा है। 3. स्टील और एल्यूमिनियम पर टैक्स में छूट
वहीं भारत चाहता है कि अमरीका उसके उत्पाद स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए टैक्स हटाए ताकि, भारत से ये सामान आसानी से निर्यात किया जा सके। 4. डिजिटल व्यापार (Digital Trade):
अमरीका चाहता है कि भारत डाटा लोकलाइजेशन (Data Localization) की नीति में ढील दे, यानी विदेशी कंपनियां भारतीय यूजर डाटा को विदेश में भी स्टोर कर सकें।
यह पूरा समझौता भारत और अमरीका तीन चरणों में करना पूरा करना चाहते हैं-