शताब्दी और राजधानी की इन्हीं श्रेणियों में अधिकतम सीमा 40 फीसद तक होगी। वहीं, शयनयान और चेयरकार में सीट संख्या से अधिकतम 40 फीसदी तक ही वेटिंग टिकट जारी होगा। इससे पहले रेलवे बोर्ड ने 17 अप्रैल को सभी जोनल रेलवे और रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) को इस संबंध में एक आदेश जारी किया था। उसके मुताबिक, वेटिंग टिकटों की संख्या उपलब्ध सीटों के 25 फीसदी तक सीमित किया गया था। इसके बाद आरक्षण प्रणाली में संशोधन करते हुए श्रेणीवार प्रतीक्षा सूची की सीमा तय की गई।
PRO ने की पुष्टि
मध्य प्रदेश के अंतर्गत आने वाले
भोपाल रेल मंडल के पीआरओ नवल अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा करते हुए इसकी पुष्टि की है कि, पहले वेटिंग टिकटों की कोई निश्चित सीमा नहीं थी, जिससे दलालों और अनधिकृत एजेंटों को अवैध तरीके से टिकट बुक करने का मौका मिलता रहता था। अब इसे क्लास वाइस परसेंटेज में सीमित कर दिया गया है। इस व्यवस्था का फायदा सीधे असली यात्रियों को मिलेगा।
क्या असर पड़ेगा
अब किसी ट्रेन में वेटिंग 250-300 तक नहीं जाएगा। अगर एसी फर्स्ट क्लास में 100 सीट हैं तो अधिकतम 100 लोगों को ही वेटिंग टिकट और दिया जाएगा। उसके बाद संबंधित ट्रेन में उस क्लास का टिकट जारी ही नहीं होगा। इससे टिकट जारी कराकर जुगाड़ से उसे कंफर्म कराने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। वहीं, खिड़की से वेटिंग टिकट लेकर यात्रा करने वालों की वजह से होने वाली भीड़ भी कंट्रोल में आएगी।
इन पर लागू नहीं होगा नियम
वेटिंग टिकटों पर सीमा का ये नया नियम रियायती टिकटों या सरकारी यात्रा वारंट पर लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि, दिव्यांग व्यक्ति, मेडिकल कोटा पर यात्रा करने वाले व्यक्ति, रक्षा सेवाओं के कर्मचारी और अन्य योग्य लोगों को पहले की तरह ही प्राथमिकता दी जाती रहेगी।