युवाओं में ये गलतफहमी है कि ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से कम हानिकारक है, जबकि वास्तव में इनमें निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। बता दें, 18 सितंबर 2019 को पूरे देश में ई-सिगरेट पर बैन लगा दिया गया था।
क्या है ई-सिगरेट…
ई-सिगरेट (यानी, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) बैटरी से चलने वाला उपकरण है। यह तरल निकोटीन और फ्लेवरिंग को गर्म करके धुआं बनाता है, जिसे उपयोगकर्ता सांस के माध्यम से अंदर लेते हैं। ये तीन घटकों से मिलकर बनती है। बैटरी- जो उपकरण को उर्जा देती है। एटमाइजऱ- जो तरल को गर्म करके वाष्प बनाता है। और तरल काट्र्रिज-इसमें निकोटीन, फ्लेवरिंग और अन्य रसायन होते हैं।
कई तरह के फ्लेवर उपलब्ध
युवाओं में ई-सिगरेट के कई फ्लेवर प्रचलित हैं। इनमें फलों के फ्लेवर- मैंगो, तरबूज, ब्लूबेरी, लीची, और चेरी, कैंडी और डेसर्ट के फ्लेवर इनमें बबलगम, चॉकलेट, टॉफी, और वैनिला। पेय पदार्थों के फ्लेवर- कोला, पेप्सी, और सोडा के अलावा कॉफी और हर्बल फ्लेवर- कॉफी, टी, और दालचीनी जैसे फ्लेवर प्रचलन में हैं। ये भी पढ़ें: रोड एक्सीडेंट में जान बचाने वालों को सरकार देगी ’25 हजार रुपए’ सेहत के लिए कितनी घातक है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट से फेफड़ों में सूजन, जलन और नुकसान हो सकता है।
इसमें निकोटीन होता है, जो अत्यधिक नशे की लत है और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है। सांस लेने में परेशानी, खांसी और गले में खराश पैदा होती है, साथ ही वेपिंग से आंख, गले और नाक में जलन होती है।
ई-सिगरेट के उपयोग से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। इसमें कार्सिनोजेन भी होता हैं जो कैंसर का खतरा बढ़ाता हैं। इसके उपयोग आंखों से कम दिखाई देना, इम्युनिटी कमजोर होना, स्किन से जुड़ी समस्याएं जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम बढ़ता है।
क्या कहता है कानून
देश में ई-सिगरेट (उत्पादन,निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) निषेध अधिनियम, 2019 के तहत पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उल्लंघन करने पर १ वर्ष तक की कैद या एक लाख तक जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। ई-सिगरेट के भंडारण के लिए 6 महीने तक की कैद या पचास हजार रुपए तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय
प्रो. डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स, भोपाल का कहना है कि ई-सिगरेट गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। निकोटीन मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है, जिससे ध्यान, स्मृति और निर्णय क्षमता में बाधा आती है। ई-सिगरेट के उपयोग से फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। इसलिए युवाओं को ई-सिगरेट से बचना चाहिए। इसके विकल्प के रूप में, निकोटीन मुक्त थेरेपी और परामर्श सेवाएं उपलब्ध हैं। लती युवा इसका सहारा ले सकते हैं।