ये जन-तंत्र है या जागीर-मंत्र?
- मप्र में #मऊगंज और #पांढुर्णा जैसे नवगठित जिलों में मोहन सरकार ने सरकारी जमीन पर बीजेपी ऑफिस के लिए कैबिनेट से मंजूरी दिलवा दी! क्या @BJP4MP सरकार ने मध्य प्रदेश में जनता की संपत्ति को अपनी पार्टी का ‘स्थायी पता’ मान लिया है?
- बीते दिनों #गुना में डेढ़ बीघा सरकारी जमीन पर बीजेपी दफ्तर के लिए प्रशासन ने वर्षों से रह रहे आदिवासी परिवारों के घर तोड़ दिए. पुश्तैनी रिहायश और 50-60 सालों की यादों को चंद घंटों में ही मिट्टी में मिला दिया गया! इस सरकारी दादागिरी से फिर आदिवासी परेशान हुए!
- सारे नियमों को ताक पर रखकर #नीमच में 20 हजार वर्ग फीट जमीन कब्जा में कर ली! इसका बाजार मूल्य 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है! जमीन से जुड़ा एक भी पैसा अभी तक जमा भी नहीं करवाया गया है! क्या चाल, चरित्र और चेहरे की राजनीति ऐसी होती है?
- @BJP4India के लिए अब सरकारी जमीन कहीं चुनावी दफ्तर, तो कहीं महंगे गेस्ट हाउस बन रही है! स्कूल, अस्पताल, रैन-बसेरे या गरीबों के लिए मकान की बजाय हर जिले की सरकारी भूमि पर क्या अब भाजपा के ऑफिस बनेंगे? जमीनी लूट की यह छूट क्यों?
- सरकारी जमीन के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी गंभीर टिप्पणी कर चुका है! फिर मध्यप्रदेश में संविधान की धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही है? क्यों @DrMohanYadav51 सरकार पद के दुरुपयोग का सामूहिक और सार्वजनिक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है?
क्या 50% कमीशन अब कम पड़ रहा है?