विधानसभा में मिला जवाब
विधानसभा में विधायक अजय सिंह के प्रश्न के जवाब में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने यह जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्रों(PM Jan Aushadhi Kendra) द्वारा औषधियों की बिक्री उनके द्वारा पीएमबीआई (फार्मास्यूटिकल एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया) के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार की जाती है। औषधियों का विक्रय, औषधि के नियमों में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत किया जाना आवश्यक है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अधिनियम के पालन संबंधी निरीक्षण किए जाते हैं। विभागीय जांच में मिली ये गड़बड़ियां
- जन औषधि दवाओं के अलावा अन्य दवाओं की बिक्री
- निजी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री
- जन औषधि की खरीद नहीं।
- औषधियों का विक्रय रिकॉर्ड, बिल बुक, कैश मेमो अद्यतन नहीं पाया जाना
- शिड्यूल एच-1 ड्रग जिनके लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य है. के लिए भी रजिस्टर संधारित नहीं पाया गया।
- केन्द्रों में नारकोटिक्स औषधियां भी मिली लेकिन उनकी बिक्री का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
- कई केन्द्रों में एक्सपायर हो चुकी दवाएं भी बिक्री वाली दवाओं के साथ रखी पाई गईं।
इसलिए खोले गए हैं औषधि केन्द्र
प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों(PM Jan Aushadhi Kendra) का उद्देश्य मरीजों को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराना है। इन केन्द्रों पर दवाएं 50 से 80 फीसदी तक सस्ती दरों पर मिलती हैं। मध्यप्रदेश में अभी 500 से अधिक जन औषधि केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। अब पैक्स द्वारा भी लगातार यह केन्द्र खोले जा रहे हैं। सभी जिला अस्पतालों के परिसर में भी जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं। इन केन्द्रों को जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। सरकार प्रोत्साहन राशि भी देती है।