सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया कि मंडल के 50 से अधिक स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली लागू की जा रही है। पश्चिम मध्य रेल जोन के अंतर्गत भोपाल रेल मंडल का प्रदर्शन ट्रेनों के टाइम टेबल में सुधार लाने में इसके चलते बेहतर हुआ है।
कवच की ट्रेनिंग शुरू
रेलवे सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग में कार्यरत 901 तकनीकी कर्मचारियों को सिकंदराबाद और भायकला मुंबई जैसे संस्थानों में इस सिस्टम की ट्रेनिंग दी गई है। अगले कुछ महीनों में अन्य स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, आईबीएस , एसएसआइ, सीटीसी और ‘कवच’ जैसी आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों के कार्य प्रस्तावित हैं। कर्मियों को नए सिस्टम की ट्रेनिंग दी जा रही है। ये भी पढ़ें: ग्वालियर में जल्द चलेंगी पीएम ई-बस सेवा की 60 बसें, तय होंगे 10 रूट ! जल्दी मिलता है सिग्नल
इंटरलॉकिंग सिस्टम और सिग्नल को आपस में लिंक कर ट्रेनों के ट्रैक से निकलने की जानकारी त्वरित गति से कंट्रोल रूम को मिलती है। ट्रेन संचालन में सिग्नल, ट्रैक स्विच और पाइंट्स के बीच समन्वय स्थापित कर इंजन ड्राइवर और सबसे आखरी डब्बे में बैठे गार्ड से त्वरित गति से संपर्क होता है। किसी भी रेलवे रूट के शुरुआत एवं अंत के हिस्से से ट्रेन के गुजरने के बाद सिग्नल सिस्टम इसकी जानकारी कंट्रोल रूम को देता है। पीछे आ रही ट्रेन को आगे का ट्रैक क्लियर होने का सिग्नल जल्द मिल जाता है।
सौरभ कटारिया, सीनियर डीसीएम का कहना है कि भोपाल मंडल में हाल ही में 8 स्टेशनों पर इंटरलॉकिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण किया गया है, जहां अब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली प्रभावी रूप से कार्य कर रही है। इस आधुनिक प्रणाली के माध्यम से न केवल संचालन सुरक्षित हुआ है, बल्कि मानवीय त्रुटियों की संभावना भी शून्य हो गई है।