अमेरिकन टैरिफ को लेकर पूरे देश के साथ ही प्रदेश में भी लोग चिंतित हैं। ऐसे माहौल में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की वजह बताई है। इस संबंध में एमपी बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान का वीडियो जारी किया है जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री देश के किसानों के हितों की हर हाल में रक्षा करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका यहां अपनी फसलें बेचना चाहता है पर सरकार इसकी मंजूरी नहीं देगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वो चाहते हैं कि उनका सोयाबीन, गेहूं, मक्का, चावल यहां बेचने दिया जाए।
वहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत बेहद कम है और उपज ज्यादा होती है। हमारे यहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत वहां से बहुत ज्यादा है और अगर उनकी फसल खुलेआम आती, तो हमारे यहां की फसलों के दाम देश में और गिर जाते। किसानों की हालत खराब हो जाती, वे कहां जाते…. इसलिए ये तय किया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसान के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यूएस के किसानों के पास 10,000 हेक्टेयर, 15,000 हेक्टेयर जमीनें हैं। इधर हमारे ज्यादातर किसानों के पास एक एकड़ से लेकर तीन एकड़ तक जमीन है, कई के पास तो सिर्फ आधा एकड़ ही है। ऐसे में क्या यह प्रतिस्पर्धा उचित है? पूरा देश आशंकित था कि क्या होगा? लेकिन हमारी सरकार देश के किसानों के पक्ष में खड़ी रहेगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का वीडियो पोस्ट किया
एमपी बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह वीडियो पोस्ट किया। अपने एक्स हेंडल पर लिखा- टैरिफ को लेकर पूरा देश आशंकित था, आप जानते हैं कि उनके पास (यूएस के किसानों) कितनी जमीन है: 10,000 हेक्टेयर, 15,000 हेक्टेयर। वहीं, हमारे किसानों के पास एक एकड़ से लेकर तीन एकड़ तक जमीन है, कई के पास तो सिर्फ आधा एकड़ है। क्या ये प्रतिस्पर्धा उचित है? पूरा देश आशंकित था कि क्या होगा?
वो चाहते हैं कि उनका सोयाबीन, गेहूं, मक्का, चावल यहां आए। वहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत कम है और उपज ज्यादा होती है। हमारे यहां प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत वहां से बहुत ज्यादा है, और अगर ये खुलेआम आता, तो हमारे यहां की फसलों के दाम देश में और गिर जाते।
इसलिए ये तय किया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसान के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।