scriptएमपी में खुलेंगे 50-50 बेड के 12 नए ‘वेलनेस सेंटर’, किया जाएगा आयुर्वेदिक इलाज | 12 new 'wellness centers' of 50 beds each will be opened in MP | Patrika News
भोपाल

एमपी में खुलेंगे 50-50 बेड के 12 नए ‘वेलनेस सेंटर’, किया जाएगा आयुर्वेदिक इलाज

MP News: पंचकर्म और बॉडी डिटॉक्स की मिलेगी सुविधा, अब तक सात देशों के लोगों ने उठाया लाभ….

भोपालJun 08, 2025 / 01:29 pm

Astha Awasthi

wellness centers (सोर्स: पत्रिका फोटो)

wellness centers (सोर्स: पत्रिका फोटो)

MP News: एमपी के भोपाल शहर में पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज कलियासोत डैम के किनारे मॉडर्न वेलनेस कॉटेज बनाने जा रहा है। इस कॉटेज में पहाड़ी, डैम और जंगल के मनोरम नजारों के बीच पंचकर्म और बॉडी डिटॉक्स (शरीर की अंदरूनी सफाई) की सुविधा मिलेगी। यहां परिवारों को लोग छुट्टियों का मजा वेलनेस वेकेशन के रूप में ले सकेंगे।
संस्थान के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि सुपर स्पेशियलिटी और पंचकर्म वेलनेस सेंटर को राजधानी और बाहर के लोग खूब पसंद कर रहे हैं। यह हमेशा 95 प्रतिशत भरा रहता है। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत वेलनेस कॉटेज को बनाने की तैयारी है। कॉटेज को सेंटर के नीचे पहाड़ी पर बनाया जाएगा। यह एकीकृत वेलनेस हब होगा। यहां 7 दिन की पंचकर्म चिकित्सा पर करीब 40,000 रुपए का खर्च आएगा।

मिलेगी कस्टमाइज्ड डाइट

वेलनेस के लिए आने वाले लोगों को यहां सेहत और बीमारी के हिसाब से खास आयुर्वेदिक डाइट दी जाएगी। ताकि हर व्यक्ति को उसकी जरूरत के हिसाब से सही पोषण मिल सके।
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वेलनेस सेंटर की डिमांड

पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज में स्थित पंचकर्म और वेलनेस सेंटर देश का एकमात्र सरकारी सेंटर है, जहां अब तक सात देशों से 50 से अधिक मरीज इलाज के लिए आ चुके हैं।

12 नए वेलनेस सेंटर भी बनेंगे

आयुष विभाग भोपाल की तरह प्रदेशभर में 12 नए आयुष वेलनेस सेंटर बनाने जा रहा है। ये 10-10 बेड के होंगे। इन पर 125 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उज्जैन और खजुराहो में 50-50 बेड के सेंटर बनाने में 15-15 करोड़ खर्च होंगे।

गर्भ संस्कार से बढ़ी 20 प्रतिशत नार्मल डिलीवरी

पं. खुशीलाल शर्मा सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में शुरू हुए गर्भ संस्कार से नार्मल डिलीवरी को बढ़ावा मिल रहा है। प्राचार्य डॉ. शुक्ल के अनुसार योजना से एक वर्ष में सामान्य प्रसव में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसे 40 प्रतिशत करना अब लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि कॉलेज ने भोपाल के 72 स्कूलों में औषधीय पौधों के पहचान का पाठ्यक्रम शुरू किया है। जबकि कॉलेज के बगीचे में 400 औषधीय पौधे हैं। इनमें 40 ऐसे हैं, जो विलुप्त के कगार पर हैं।

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